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दुष्कर्मी पुलिस सिपाही शिवपूजनसिंह बैस को 20 वर्ष का सश्रम कारावास 50 हजार का जुर्माना

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गोंदिया –जिले के दवनीवाड़ा पुलिस थाने में कार्यरत तत्कालीन पुलिस सिपाही ब.न 1590 शास्त्री वार्ड गोंदिया निवासी शिवपूजनसिंह सूरजनाथ बैस उम्र 52 वर्ष को दुष्कर्म के आरोप में दोषी करार देते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश सुभद्रा डी तुलनकर द्वारा 20 सितंबर को सुनाये गये फैसले में 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा व 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोका।
प्रकरण इस प्रकार है कि दवनीवाड़ा पुलिस थाने में कार्यरत तत्कालीन पुलिस सिपाही शिवपूजन सिंह सूरजनाथ बैस उम्र 52 वर्ष द्वारा अपने पद के रौब के चलते 17 वर्षीय नाबालिक युवती के साथ दुष्कर्म कर जान से मारने की धमकी दी थी। उपरोक्त मामला 23 फरवरी 2014 से 14 मार्च 2014 के बीच घटित हुआ था जिसमें आरोपी द्वारा 23 फरवरी की शाम 7:30 बजे के दौरान 17 वर्षीय नाबालिक परिचित यूवती को घर छोड़ने के बहाने मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले जाते समय बीच रास्ते में जंगल परिसर में नहर के समीप ले जाकर दुष्कर्म किया तथा इस घटना की जानकारी किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। फिर इसके पश्चात 14 मार्च को जब युवती शौच के लिए जा रही थी तो उसे दबोच कर फिर से खेत परिसर में ले जाकर दुष्कर्म किया बार बार दुष्कर्म किए जाने से पीड़ित युवती द्वारा इस घटना की शिकायत 21 मार्च 2014 को दवनीवाड़ा पुलिस थाने में दर्ज कराई। पीड़िता की शिकायत पर दवनीवाड़ा पुलिस थाने में आरोपी के खिलाफ भादवि की धारा 376,(2),(आय),(एम), 506 तथा सहायक धारा बाल लैंगिक अत्याचार प्रतिबंधक कानून की 4,6 के तहत दर्ज किया।
शिकायत दर्ज होते ही आरोपी फरार हो गया था जिसके पश्चात पुलिस द्वारा आरोपी को 6 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के चांपा से हिरासत में लिया गया तथा संपूर्ण मामले की जांच कर जांच अधिकारी सहायक पुलिस निरीक्षक डीजे बाकाड़े ने 29 सितंबर 2014 को जिला सत्र न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई लेकिन मामले की गंभीरता व नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म के मामले को देखते हुए उपरोक्त प्रकरण विशेष जिला व सत्र न्यायालय फास्टट्रैक में शुरू किया गया उपरोक्त मामले में सरकारी वकील कृष्णा डी पारधी द्वारा 18 गवाहों व चिकित्सा अहवॉल के आधार पर पीड़िता का पक्ष रख पैरवी की जिसमें विशेष जिला व सत्र न्यायालय फास्ट ट्रेक पास्को कोर्ट के न्यायाधीश सुभद्रा डी तुलनकर द्वारा 20 सितंबर को सुनाए गए अपने फैसले में आरोपी को बाल लैंगिक अत्याचार प्रतिबंधक कानून की धारा 6 के तहत दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए 20 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा तथा 50 हजार का जुर्माना लगाया जिसमें से 20 हजार रुपए पीड़ित युवती को देने का निर्देश दिया।
उपरोक्त मामले में पीड़िता व सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी पारधी ने न्यायालय में पक्ष रख पीड़िता को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं वही पुलिस विभाग की ओर से न्यायालय कार्य पुलिसकर्मी श्रीकांत मेश्राम वह महिला पुलिस सिपाही सुनीता लिल्हारे ने विशेष सहयोग दिया।

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