आशा सेविकाओ को नहीं मिला दो माह से मानधन

फिर भी जान को जोखिम में डालकर किया जा रहा कोरोणा का सर्वे

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गोदिया- स्वास्थ्य विभाग कि संकट मोचन समझे जाने वाली आशा सेविकाये अपनी जान को जोखिम में डालकर कोरोना से लड़ रही है सेवा देते देते अनेक आशा सेविकाये कोरोना संक्रमित हो चुकी है फिर भी उन्हे उपेक्षित रखा जा रहा है गत 2 माह से उन्हें मानधन से वंचित रखा गया जिससे उनकी आर्थिक हालत नाजुक हो चुकी है जिले के जनप्रतिनिधियों ने इस विषय को लेकर स्वास्थ्य मंत्री , जिलाधिकारी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी से चर्चा कर आशा सेविकाओ को मानधन दिलाने की बात करनी चाहिए इस तरह की मांग उन्होने की है
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 2,000 से अधिक आशा सेविका कोरोना से फ़ाईट खेल रही है, गांव गांव में जाकर प्रत्येक नागरिकों को जानकारी देकर कोरोना से कैसे बचे इसके उपाय बता रहे हैं इतना ही नहीं तो प्रत्येक नागरिकों की स्वास्थ्य जांच कर उनकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को प्रस्तुत कर रहे हैं कंटेनमेंट जोन में जाकर नागरिकों को जानकारी दे रहे हैं गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कर रही है इतना ही नहीं तो दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के संदर्भ में दिन रात कार्य कर रही है यह काम करते-करते जिले की लगभग 10 से अधिक आशासेविकाए संक्रमित हो चुकी है यह काम करने के लिए उन्हें नाम मात्र मेहनताना दिया जा रहा है वह भी समय पर नहीं आज देश कोरोना की चपेट में आ गया है जिसे बचाने के लिए आशा सेविकाये प्रमुख भूमिका निभा रही है लेकिन प्रशासन द्वारा उन्हें उपेक्षित रखा जा रहा है जुलाई अगस्त महिने का मानधन तथा शासन ने अतिरिक्त ₹2000 मानधन देने की बात कही वह भी अभी तक नहीं दिया गया है जिस वजह से उनकी आर्थिक हालत नाजुक हो चुकी है फिर भी अपनी जान को जोखिम में डालकर आशा सेविका है कोरोना का सर्वे कर रही है उन्होंने जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि थकित मानधन तत्काल आशाओं को दिया जाए