
नागौर: सहज-सरल और मृदुभाषी व्यक्तित्व हो तो वह हर किसी का चहेता बन ही जाता है. ऐसे ही सहज -सरल और मृदुभाषी व्यक्तित्व हैं आईपीएस परिस अनिल देशमुख. परिस देशमुख द्वारा उठाई गई सामाजिक जिम्मेदारी समाज के सामने मिसाल बन गई है.नागौर के बहुचर्चित आनंदपाल प्रकरण में शहीद हुए नागौर जिले के पुलिस सिपाही खुमाराम के परिजनों की देखभाल की जो जिम्मेदारी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने ली थी वो वर्षों से निभा रहे हैं. देशमुख की पोस्टिंग कहीं हो, रक्षा बंधन के त्योहार पर खुमाराम के घर जाकर उनकी बहन संगीता से राखी बंधवाते आ रहे हैं.
देशमुख अच्छाई और अपनत्व का एक ऐसा चेहरा है जिस पर पुलिस विभाग गर्व करता है. खुमाराम की बहन संगीता और भाई रामेश्वर की शादी 2 दिसम्बर को है. देशमुख अपना भाई होने का कर्तव्य और जिम्मेदारी निभाते हए 27 नवंबर को नागौर पहुंचे और मायरा भरा. यह दृश्य देख वहां मौजूद कईयों की आंखें नम हो गईं. खुमाराम के परिजन भावुक हो गए.
देशमुख ने पुलिस विभाग के अपने साथियों के साथ खुमाराम के घर पहुंच कर भाई होने का फर्ज अदा किया. उन्होंने 3,37,000 रूपए का मायरा भरा. जिसमें 1,51,000 रूपए नगद, 1,75,700 रूपए का सोना, 10,500 रूपए की पोशाक एवं अन्य सामग्री मायरे में भेंट की.
पुलिस विभाग ने जिस तरह अपने विभाग के शहीद कर्मचारी के परिवार के प्रति कर्तव्य निभाया, उसने नागौर ही नहीं बल्कि पूरे देश में एक बड़ा संदेश दिया है. देशमुख एक बेहतरीन आईपीएस अधिकारी होने के साथ ही एक सहज-सरल और संजीदा इंसान हैं जो मानवीय संवेदनाओं से भरे हुए हैं.
नागौर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एवं जयपुर पुलिस उपायुक्त परिस देशमुख का कहना है कि खुमाराम हमारा साथी था जिन्होंने अपना फर्ज निभाते हुए शहादत प्राप्त की. उस वक़्त परिवार की जिम्मेदारी लेते हुए रिश्ता जोड़ा. मेरा पूरा प्रयास रहता है कि खुमाराम के परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाऊं. खुमाराम की बहन संगीता और भाई रामेश्वर की शादी है. शादी में एक भाई का फर्ज निभाने, मायरा भरने नागौर पुलिस टीम के साथ खुमाराम के गांव गए. हमने मिलकर मायरा भरा. मुझे खुशी है कि राजस्थान पुलिस अपने साथियों के प्रति बहुत संवेदनशील है. हम अपनत्व रखते हैं. हमने सामाजिक सरोकार निभाया है.