‘विकसित भारत – 2047’ के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु महाराष्ट्र ‘विकास और विरासत का विज़न’ लेकर पूरी तरह तैयार – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

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नई दिल्ली, 25 मई: विकसित भारत – 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और सभी राज्यों के साथ मिलकर महाराष्ट्र ‘विकास और विरासत के विज़न’ को साकार करने के लिए पूरी क्षमता के साथ तैयार है, ऐसा आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यहां कहा। साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वर्ष 2030 तक महाराष्ट्र की 52% ऊर्जा आवश्यकताएं हरित स्रोतों से पूरी की जाएंगी। वे यह बात नीति आयोग द्वारा आयोजित बैठक में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महाराष्ट्र की विभिन्न योजनाओं, परियोजनाओं और संकल्पों को मिल रहे समर्थन की विशेष सराहना की और इसके लिए केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों का आभार व्यक्त किया।
अपने वक्तव्य की शुरुआत में उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल संचालन के लिए भारतीय सेना और प्रधानमंत्री मोदी का हृदय से धन्यवाद और अभिनंदन किया।
बैठक में मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र के भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने 45,500 मेगावाट अतिरिक्त ऊर्जा खरीद के लिए समझौते किए हैं, जिनमें से 36,000 मेगावाट हरित ऊर्जा है। वर्ष 2030 तक राज्य की 52% ऊर्जा हरित स्रोतों से प्राप्त की जाएगी। मुख्यमंत्री सौर कृषि पंप योजना 2.0 के अंतर्गत 10,000 कृषि फीडरों पर 16,000 मेगावाट की परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 1,400 मेगावाट की परियोजनाएं कार्यान्वित हो चुकी हैं। दिसंबर 2026 तक सभी किसानों को दिन में 100% बिजली मिलेगी और वह भी सौर ऊर्जा से। राज्य के 100 गांवों में सौरग्राम योजना शुरू की गई है, जिनमें से 15 गांव पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित हो चुके हैं। पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए नई नीति बनाई गई है, जिसके तहत 45 परियोजनाओं के लिए 15 विकासकर्ताओं से समझौते हुए हैं। इनकी कुल क्षमता 62,125 मेगावाट होगी और इसमें 3.42 लाख करोड़ रुपये का निवेश तथा 96,190 रोजगार सृजित होने की संभावना है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय नीति के अनुरूप ‘महाराष्ट्र 2047’ का विज़न तीन चरणों में तैयार किया जा रहा है। पहले चरण में 100 दिनों का सुशासन आधारित कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें नागरिक केंद्रित पहलें और जवाबदेही सुनिश्चित की गई। इस दौरान विभिन्न विभागों ने 700 से अधिक लक्ष्यों को प्राप्त किया। अब 150 दिनों का कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें 2047 के लिए दीर्घकालिक, 2035 के लिए मध्यकालिक (जब महाराष्ट्र अपना अमृत महोत्सव मनाएगा) और 2029 के लिए अल्पकालिक 5 वर्षीय विज़न बनाया जा रहा है। वर्तमान अर्थव्यवस्था को 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर और 2047 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य भी सरकार ने रखा है।
मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र को भारत का निवेश मैगनेट बताते हुए कहा कि 2024-25 की पहली तिमाही में राज्य ने 1.39 लाख करोड़ रुपये की विदेशी निवेश प्राप्त की — जो देश में सर्वाधिक है। दावोस वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में राज्य ने 15.96 लाख करोड़ रुपये के एमओयू किए, जिनमें से 50% पर कार्य शुरू हो चुका है। यह निवेश मुख्य रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में हो रहा है।
नीति आयोग के मार्गदर्शन में मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) को ग्रोथ हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2047 तक इस क्षेत्र को 1.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से विशेष वित्तीय सहायता की अपेक्षा जताई। टियर-2 और टियर-3 शहरों में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि: गडचिरोली को स्टील सिटी, नागपुर को डिफेन्स हब, अमरावती में टेक्सटाइल क्लस्टर, छत्रपति संभाजीनगर में ईवी उत्पादन हब, औरिक सिटी, रायगढ़ जिले के दिघी में स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी की स्थापना की जा रही है।
एमएसएमई क्षेत्र में महाराष्ट्र सबसे आगे है, जहां 60 लाख से अधिक उद्यम राष्ट्रीय पोर्टल पर पंजीकृत हैं — जो देश में सबसे अधिक है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस और मुख्यमंत्री रोजगार निर्माण योजना के माध्यम से 2 लाख उद्यमियों को लाभ मिला है। हाल ही में मुंबई में आयोजित वेव्हज परिषद के दौरान दो वैश्विक स्टूडियो के लिए 5000 करोड़ रुपये के एमओयू हुए। इसके अलावा, मुंबई में IICCT की स्थापना, NSE में वेव्हज इंडेक्स का शुभारंभ, और यॉर्क विश्वविद्यालय एवं पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय से समझौते भी किए गए हैं।
अंत में मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह विश्वास जताया कि वर्ष 2027 के नाशिक सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए केंद्र सरकार से मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता अवश्य प्राप्त होगी।