
लांजी(श्रेयष तिडके)। कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप के चलते लगभग 08-10 माह बंद पड़े न्यायालयीन कार्य हाल ही में अपनी पटरी पर लौटे है और इसके लिए उच्च स्तरीय न्यायालयों की गाईडलाईन को पूर्णतः फाॅलो किया जा रहा है। लांजी स्थित सिविल न्यायालय में न्यायाधीश अभिषेक सोनी द्वारा कोरोना के पश्चात कोरोना की सावधानियों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट संचालित की जा रही है। 22 फरवरी सोमवार को कोरोना उपरांत न्यायालयीन विभिन्न गतिविधियों का अवलोकन व संचालन कार्याे का निरीक्षण करने के लिए जिला बालाघाट न्यायालय से न्यायाधीश अमरनाथ केशरवानी लांजी पंहुचे और सिविल कोर्ट लांजी परिसर में स्थित विभिन्न कक्षों व परिसर के साथ ही न्यायालयीन कार्याें का निरीक्षण भी किया।
इस अवसर पर लांजी सिविल न्यायालय न्यायाधीश अभिषेक सोनी, लांजी एसडीएम रविंद्र परमार, तहसीलदार आर.पी. मार्काे, राजस्व निरीक्षक मेहरा, पटवारी इंद्रपाल मड़ावी व न्यायालयीन कर्मचारीगण प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। न्यायाधीश केशरवानी ने सिविल कोर्ट लांजी के भवन व आवास निर्माण हेतु लांजी में 03 भूमि स्थलों जिसमें तहसील कार्यालय के समीप स्थित भूमि व पीआरएल प्लांट नाम से पहचानी जाने वाली भूमि के सामने मुख्य मार्ग के दूसरी ओर वन विभाग की फेंसिंग से सटी भूमि का निरीक्षण किया तथा इस संबंध में कलेक्टर से बात करने के उपरांत नियमानुसार निर्माण किए जाने हेतु निर्णय लेने की बात कही।
– दिए विभिन्न निर्देश
सिविल न्यायालय लांजी परिसर के अवलोकन के पूर्व माननीय न्यायाधीश वन विभाग विश्रामगृह पंहुचे तथा उसके पश्चात सिविल न्यायालय परिसर पंहुचकर अधिवक्ताओं से चर्चा कर उनकी समस्या सुनी और वकीलों के बार रूम के निरीक्षण के दौरान बार रूम में गेट या दरवाजे की व्यवस्था करने व कैदी रूम में टाॅयलेट आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। साथ ही वकीलों को किसी प्रकार की आधारभूत परेशानी का सामना ना करना पड़े उक्ताशय हेतु सुविधाओें की व्यवस्था करने की बात कही।
– स्मृतिचिन्ह देकर किया गया सत्कार
त्हसील अधिवक्ता संघ लांजी के अध्यक्ष चितरंजन दास मचिया के नेतृत्व में अधिवक्तागण आशीष नेवारे, रवि तिड़के, रमन झा, जितेंद्र रहांगडाले, एन.के. भटेरे, शशिप्रभा श्रीवास्तव, जितेंद्र यादव, अरूणकुमार तांडेकर, चंद्रप्रकाश आसटकर, बबीता पशीने, नागेश्वर, पटले, लोकेश बिहोने आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे तथा अधिवक्ताओं के द्वारा दादा कोटेश्वर, मां लंजकाई व अन्य प्रमुख स्थलों की तस्वीरों से संकलित स्मृतिचिन्ह व शाॅल-श्रीफल भेंटकर माननीय न्यायाधीश केशरवानी का सत्कार किया गया।
इनका कहना है
अभी न्यायालय भवन हमारा खुद का नहीं है, जनपद पंचायत का है इसलिए न्यायालय भवन के लिए जमीन की तलाश करना है। न्यायलयीन अधिकारियों की आवास की व्यवस्था को देखना है और कोरोना काल के पश्चात कार्यवाही कैसे चल रही है यह देखना है। कोर्ट परिसर के लिए 03 स्थानों का निरीक्षण किया गया है जिनके बारे में कलेक्टर महोदय से बात की जाएगी तो जिस भूमि में किसी को दिक्कत ना हो ऐसी भूमि का चयन किया जाएगा।
(अमरनाथ केशरवानी, न्यायाधीश जिला न्यायालय बालाघाट)