29 नवंबर को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग ने किया भारत बंद का आह्वान

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नई दिल्ली :29 नवंबर मंगलवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के बैनर तले मान्यवर चौधरी विकास पटेल राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग मोर्चा नई दिल्ली के आह्वान पर 52% ओबीसी की जाति आधारित में जनगणना करके ओबीसी को जीवन के हर क्षेत्र में 52% आरक्षण के साथ-साथ ईवीएम मशीन के विरोध में, मजदूरों के खिलाफ बनाए गए श्रम कानून के विरोध में, सरकारी कर्मचारियों के पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के समर्थन में, किसानों के अनाज का एमएसपी गारंटी कानून का के समर्थन, काला कानून एनआरसी, एनपीआर, सीसीए के विरोध में एससी एसटी ओबीसी के छात्रों को छात्रवृत्ति बहाल करने के समर्थन में आदि मुद्दों को लेकर के भारत बंद किया जाएगा। जिसकी जानकारी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग के राज्य प्रभारी यादव संतोष नागवंशी ने दी।
 देश को आजाद कराने में सबसे ज्यादा कुर्बानी ओबीसी के लोगों ने दिया. लेकिन, आजादी के 75 साल बाद भी ओबीसी को उसकी संख्या के अनुपात में अधिकार नहीं मिला. अधिकार मिलने की बात तो बहुत दूर की है गुलाम भारत में उनकी गिनती होती थी आजाद भारत में उनकी गिनती तक नहीं हो रही है. जबकि देश में ओबीसी की संख्या 1931 की गिनती के अनुसार 52 फीसदी है.
मण्डल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर जब 52 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण देने की बात आई तो सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तय करते हुए 52 प्रतिशत ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण देने से इनकार कर दिया. इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया कि अनुसूचित जाति को पहले से 15 प्रतिशत आरक्षण है. इसी तरह से अनु.जनजाति को भी 7.5 प्रतिशत आरक्षण है. अगर ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा तो आरक्षण की तय सीमा 50 प्रतिशत से बहुत ज्यादा हो जायेगी. इसलिए 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर जाकर ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. लेकिन, जब सवर्णों को आरक्षण देने की बात आई तो वहीं सुप्रीम कोर्ट संविधान के विरोध और आरक्षण की तय सीमा से बाहर जाकर सवर्णों को आर्थिक आधार 10 प्रतिशत आरक्षण दे दिया. अब जब आरक्षण की तय सीमा टूट ही चुकी है तो 52 प्रतिशत ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण देना होगा. इसके लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा देश में बहुत बड़ा आंदोलन शुरू किया है और इसी को लेकर 29 नवंबर 2022 को भारत बंद कर रहा है. यह ऐलान करते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी विकास पटेल ने कही.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी विकास पटेल ने कहा, ओबीसी सहित एससी, एसटी और मायनॉरिटी के कई मुद्दो को लेकर आगामी 29 नवंबर 2022 को भारत बंद करेंगे. इन मुद्दों में ओबीसी की जाति आधारित गितनी कराने और ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण देने का मुद्दा सबसे अहम मुद्दा है. क्योंकि, अभी दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला सुनाया है. यह इसलिए अहम मुद्दा है कि जो सुप्रीम 52 ओबीसी को आजादी के 75 साल बाद भी 52 प्रतिशत आरक्षण यह कहकर देने से इनकार कर दिया कि आरक्षण की तय सीमा से बाहर जाकर ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा तय करके 52 प्रतिशत ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया और क्रीमीलेयर लगा कर उसे भी छीन लिया.
आगे पटेल ने कहा, अब तो सुप्रीम कोर्ट ने ही सवर्ण गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देकर आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को तोड़ दिया. जब आरक्षण की सीमा को तोड़ ही दिया गया है तो अब ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण किसी भी कीमत पर देना होगा. इसके लिए ओबीसी को 1992 जैसे फिर से आंदोलन करने की जरूरत है. इसके लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा मैदान में है केवल ओबीसी के लोगों को साथ देने भर की जरूरत है. इसलिए इस मुद्दे को प्रमुखता पर रखते हुए भारत बंद कर रहे हैं. इसके साथ ही देश में जानवरों की गिनती होती है लेकिन ओबीसी की गिनती नहीं होती है. इसलिए देश में ओबीसी की गिनती कराने का मुद्दा भी अहम मुद्दा है.

उन्होंने आगे ईवीएम आज की मनुस्मृति है. पहले मनुस्मृति के तहत मूलनिवासी बहुजनों को वोट देने का अधिकार नहीं था आज ईवीएम के तहत मूलनिवासी बहुजनों का वोट छीना जा रहा है. साथ ही किसान देश का पेट भरता है लेकिन किसान ही दाने-दाने के लिए मोहताज है. सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है. इसी तरह से पुरानी पेशन को लागू किया जाय और रिजर्वेशन इम्प्लीमेंटेशन एक्ट बनाकर एससी, एसटी, ओबीसी का बैकलाग तत्काल प्रभाव से भरा जाय. ऐसे कई मुद्दों को लेकर हम भारत बंद कर रहे हैं. देशभर के एससी, एसटी, ओबीसी और मायानारिटी समाज के लोग एवं संगठनों से अपील है कि भारत बंद में शामिल होकर अपने-अपने अधिकार को सुनिश्चित करें, क्योंकि यह अधिकार की लड़ाई है.