आम आदमी भारी पड़ा मंत्री रविंद्र चौबे पर, 5297 वोट‌ से हराया

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छत्तीसगढ़ की साजा विधानसभा सीट पर नतीजा अब साफ हो गए हैं। बेमेतरा जिले के साजा विधानसभा क्षेत्र की जहां से कांग्रेस के मंत्री रविंद्र चौबे चुनावी मैदान में थे। उनके सामने बीजेपी ने ईश्वर साहू को खड़ा किया। ये वही ईश्वर साहू हैं जिनके बेटे भुवनेश्वर साहू की बिरनपुर गांव में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मौत हो गई थी। रविंद्र चौबे इस सीट से 6 बार के विधायक रह चुके हैं। जिन्हे ईश्वर साहू ने 5297 वोटों से हरा दिया है।

यहां से कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है प्रदेश की भूपेश सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस के प्रत्याशी रविंद्र चौबे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ईश्वर साहू से 5297 वोटो से हार गए हैं। भाजपा के प्रत्याशी ईश्वर साहू को 1 लाख 1339 वोट मिले है। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी रविंद्र चौबे को 96 हजार 42 वोट मिले हैं। वहीं तीसरे स्थान पर इंडिपेंडेंस उम्मीदवार सुनील कुमार रहे जिन्हें 2874 वोट मिले हैं।

इस सीट पर एक तरफ रविंद्र चौबे हैं जो  7वीं बार जीत का  परचम लहराने की उम्मीद कर रहे हैं तो वहीं दूसरी बीजेपी उम्मीदवार ईश्वर साहू हैं, जिनका कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है लेकिन फिर जीत के लिए आश्वस्त हैं। उनका दावा है कि उन्हें हिंदुत्व को जगाने के लिए बीजेपी की ओर टिकट मिला है और उनका एक ही लक्ष्य है जो भुवनेश्वर साहू के साथ हुआ वो और किसी के साथ ना हो।

रविंद्र चौबे कांग्रेस नेता होने के साथ-साथ एलएलबी ग्रेजुएट भी हैं। उन्होंने कृषि कॉलेज की स्थापना, महाविद्यालय की स्थापना और देवकर को तहसील का दर्जा दिलवाने समेत कई क्षेत्रीय विकास कार्य किए हैं। साल 2018 के विधानसभा चुानवों में उन्होंने बीजेपी के बाफना को बड़े अंतर से हराया था। दरअसल ये सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है। 2013 के विधानसभा चुनावों को छोड़कर कांग्रेस हर बार इस सीट से जीत हासिल करती आई है। लेकिन साल 2023 के चुनाव में रविद्र चौबे चुनाव हार गए हैं।

इसी साल अप्रैल में सांप्रदायिक दंगों में दो मुस्लिम-एक हिंदू की हुई थी मौत
छत्तीगसढ़ के बेमेतरा जिले में आने वाली सीट साजा में इसी साल अप्रैल में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। स्कूली मारपीट से शुरू हुई इस घटना ने जल्द ही सांप्रदायिक दंगों का रूप धर लिया था। इस घटना में दो मुस्लिम और एक हिंदू व्यक्ति की मौत हुई थी। दोनों पक्षों की तरफ से आगजनी की घटनाएं हुईं। घर जलाए गए। इन हिंसक झड़पों में भुवनेश्वर साहू की हत्या हुई। भाजपा ने भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को टिकट दिया था। ईश्वर साहू लगातार वोट के बदले अपने बेटे के लिए इंसाफ देने की बात कहते रहे।

साहू की भावनात्मक अपील और भाजपा की यह रणनीति रही असरदार?
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि ईश्वर साहू भावनात्मक ढंग से यह चुनाव को लड़े। इस सीट पर करीब 60 हजार साहू वोटर हैं। वह निर्णायक होते रहे हैं। साहू समाज का एकमुश्त वोट ईश्वर साहू के पक्ष में पड़े इसके लिए भाजपा ने पूरी कोशिश की। साहू समाज के अलावा लोधी समाज बड़ी संख्या में इस सीट पर हैं। भाजपा की कोशिश रही थी कि सभी जातियों को ईश्वर के साथ खड़ा किया जाए। जानकार मानते हैं कि ईश्वर साहू को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने चुनावों को धार्मिक रंग देने की कोशिश की।