विरराजे चिमणाबहादुर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रथम जनक : विजय बहेकार

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गोंदिया,दि.२२.- विर राजे चिमणाबहादुर के ऐतिहासिक कार्यों पर ओ.सी. पटले ने सुंदर किताब लिखी है. मध्य प्रदेश शासन ने स्वाधिनता का इतिहास नामक किताब प्रकाशित की है. जिसमें चिमणाबहादुर के जीवन कार्यो पर प्रकाश डाला गया है. भारत के स्वातंत्रता आंदोलन के जनक विर राजे चिमणाबहादुर है. उन्होंने ही सर्वप्रथम सिंतबर 1818 में कामठा परगना जमीदार रहते अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष कर स्वराज की अवधारणा को रखा था. उक्त आशय के उद्गार विर राजे चिमणाबहादुर फाउंडेशन के संयोजक विजय बहेकार ने कामठा में स्थित विर राजे चिमणाबहादुर चौक परिसर में पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में मार्गदर्शन करते हुए व्यक्त किए.
कार्यक्रम की अध्यक्षता इंडियन इन्स्युरंस कंपनी के सेवानिवृत्त अधिकारी बी.आई. मेंढे ने की. जबकि प्रमुख अतिथि के रुप में लहरी आश्रम कामठा के बी.आर. देवांगन, सेवानिवृत्त ग्राम विकास अधिकारी राधेश्याम बहेकार, खातिया के सरपंच ललित तावाडे, कुणबी समाज के अध्यक्ष आत्माराम तावाडे, संजय बहेकार आमगांव, डा. हुमनराव फुंडे, आर.एन. चौधरी, संजय वाहाणे आदि उपस्थित थे. सर्वप्रथम अतिथियों के हस्ते विर राजे चिमणाबहादुर के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई.
इस अवसर पर मेंढे ने अपने संबोधन में कहा कि हर व्यक्ति में चेतना जगाने का काम करना पड़ेगा. चिमणाबहादुर ने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. हम अपने समाज की संगठना तैयार नहीं कर लेते तब तक हम मजबूत नहीं होंगे. हमारी संख्या अधिक होने के बावजूद हम आगे खड़े नही है. चेतन बहेकार ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि विर राजे चिमणाबहादुर के जीवन की गाथा अद्भूत है. उनके चरित्र का वर्णन गोंदिया गौरव में किया गया. लेकिन इतिहास में जो स्थान मिलना था वह नहीं मिला है. इसके लिए विजय बहेकार वर्षो से प्रयास कर रहे है. सरपंच ललित तावाडे ने कहा कि कुणबी समाज का इतिहास बनाया. हाथ से हाथ मिलाकर इस कार्य को आगे बढ़ाना है. विर चिमणाबहादुर ने वर्चस्ववादी व प्रथापित लोगों के खिलाफ आत्मसंघर्ष की लड़ाई लड़ी है. इस अवसर पर मनोहर मेंढे, संजय बहेकार, हुमनराव फुंडे ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम में देवानंद महारवाडे, प्रशांत गायधने, रामेश्वर श्यामकुंवर, ज्ञानसिंग टांक, ग्रापं सदस्य सुरजलाल खोटेले, चेतन खैरवार, महादेव मेंढे, बालू देशमुख, फारूक शेख, पुष्पकांत बहेकार, शैलेश वासनिक प्रमुखता से उपस्थित थे. संचालन आर.एन. चौधरी ने किया व आभार दीपक बन्सोड ने माना.