
किसानों का धान खरीदी कब होंगा।
रावणवाडी।
धान उत्पादक किसान इन दिनों परेशान हैं।रबी फसल का उत्पादन लेने के बाद किसानों को अब तक यह मालूम नहीं है कि एक एकड़ जमीन पर कितना किवंटल धान शासकीय धान खरीदी केन्द्रों पर देना है। धान का उत्पादन लिऐ हुऐ करिबन एक महा का समय बित गया है इस लिऐ अब किसान धान केंद्रों पर धान तो दे रहा है लेकिन धान खरीदी का बिल नहीं बन रहा है इस लिऐ किसान इन दिनों हाताश नजर आ रहा है।
गोंदिया तहसील के किसानों ने रबी फसल में धान का उत्पादन कर अब धान बेचने हेतु परेशान नजर आ रहा है प्रशासन ने अब तक किसानों से प्रति हेक्टेयर कितना किवंटल धान खरीदी करना है यह साफ नहीं किया है आखिरकार किसान हातश होकर अपना धान खरीदी केन्द्रों के गोदाम में लेजा तो रहा है लेकिन किसी भी किसान का धान बिक्री का बिल नहीं बन रहा है। प्रशासन कि नितियों के चलते किसान इन दिनों कसमकस में नजर आ रहा है।रबी फसल में किसानों को एक एकट जमीन पर १५ से १८ किवंटल धान का उत्पादन लेता है। परेशान किसानों कि यह समस्या के प्रति कोई भी जनप्रतिनिधि खड़ा नहीं होने से किसान अपना धान केंद्रों के गोदाम पर रामभरोसे दे कर आ रहा है। बारिश का समय आ रहा है और किसानों के पास धान रखने जगा नहीं होने से यह परिषथीती निर्माण हुई है। प्रशासन और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि से किसानों ने माग किया है कि इस सम्बन्ध में गंभीरता दिखाकर हाताश किसानों कि सुध लें।
(अन्नदाता को होगा नुकसान)
यदि किसानों का धान ८ किवंटल प्रति एकड़ लिया गया तो किसानों के पास ५० प्रतिशत धान बच जाऐगा। इस मर्तबा किसानों को १५से १८ किवंटल धान का उत्पादन हुआ है और किसानों बर्बाद होने के कगार पर पहुंच जाऐगा।
किसान राजेश हरिणखेडे चारगाव
(सस्ते दरों में बेचना होगा धान)
धान खरीद केंद्रों के गोदाम पर इन दिनों किसान १६ किवंटल प्रति एकड़ उत्पादन के हिसाब से धान लेके जा रहा है यदि प्रशासन ने इस दर से धान नहीं खरिदी किया तो किसानों को अपना शेष धान गोदामों से वापस लाके सस्ते दरों में व्यापारी को मजबुरी में बेचना पड़ेगा जिस वजह से किसानों को उत्पादन में लगी लागत में भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
किसान कैलाश दाऊदसरे मुरपार
(किसान प्रशासन के नितियों के प्रति आक्रोशित)
इन दिनों किसान कसमकस में नजर आ रहा है किसानों को धान केंद्रों पर कितना धान बेचना है यह मालुम नहीं है और केंद्रों संचालकों को भी किसानों से प्रति एकड़ कितना धान लेना है। यदि उत्पादन के अनुसार किसानों का धान नहीं लिया गया तो किसानों को धान गोदामों में धान ले जाने प्रति किवंटल १०० रूपया जो खर्च आ रहा है उस धान को गोदम से वापस लाने में दोबारा उतना हि खर्च प्रशासन कि लचर कार्यप्रणाली के चलते उठाना पड़ेगा और किसान इस परिस्थिति में व्यापारी को सस्ते दरों में धान बेचकर प्रशासन और सरकार के प्रति आक्रोशित हो जाऐगा।
किसान मदन पटले रावनवाडी