गोंदिया। वर्ष 2021-22 के रब्बी फसल (धान) की खरीदी शासकीय समर्थन मूल्य के आधार पर करने जो लक्ष्य मर्यादा (15 लाख क्विंटल) केंद्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र में निश्चित की गई वो, कृषि अधिकारियों द्वारा भेजी गई त्रुटिपूर्ण सर्वे की गलती है। जबकि अकेले धान उत्पादक गोंदिया जिले में इसकी पैदावार 35 लाख क्विंटल है।
किसानों द्वारा धान खरीदी शासकीय आधारभूत केंद्रों में बंद कर दिए जाने से हजारों किसान अपना रबी फसल का धान दलालों को कौड़ियों के दाम बेचने मजबूर है। ये किसानों के साथ अन्याय है।
इस मामले को लेकर हाल ही में गोंदिया के विधायक विनोद अग्रवाल की जनता की पार्टी चाबी संगठन ने तालुका अध्यक्ष छत्रपाल तुरकर के नेतृत्व में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर एवं राज्य के अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल को उपविभागीय अधिकारी गोंदिया के माध्यम से पत्र प्रेषित कर, न्याय की गुहार लगाई है।
उन्होंने पत्र में लिखा की, वर्ष २०२१-२२ के (रब्बी) फसल मेंं महाराष्ट्र राज्य में केंद्र सरकार ने १५ लाख क्विटंल आधारभुत धान खरेदी करने की मर्यादा निश्चित की है परंतु महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के नागरिक का मुख्य व्यवसाय धान की खेती है और यहाँ धान की खेती की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है। जिले के किसानो के फसलो का उत्पादन ३५ लाख क्विटंल तक होता है। जिल्हा मार्केटिंग अधिकारी के सर्वेनुसार जिले मे ५८,१२० किसानों की संख्या है जिसमे इस वर्ष किसानो व्दारा लगाई गई रबी फसल का क्षेत्र ६८,७१५.०० हे.आर. है और इसकी उत्पादक क्षमता ४३ प्रति. हेक्टर की दर्शाई गई है।
विशेष है कि महाराष्ट्र में पिछले वर्ष ५३ लाख क्विंटल की धान खरेदी की गई थी। उसके अनुसार इस वर्ष ६० लाख क्विंटल की धान खरेदी की मर्यादा की जानी
अपेक्षित है। धान खरीदी की मर्यादा बढ़ाये न जाने पर शासकीय समर्थन मूल्य पर धान खरीदी प्रक्रिया बंद कर दी गई है, जिससे किसान अपना धान कौड़ियों के दाम बेचने मजबूर हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होकर वे आत्महत्या के लिए प्रवर्त हो रहे है।
जनता की पार्टी चाबी संगठन ने कहा, जो खरीदी की मर्यादा केंद्र सरकार द्वारा निश्चित की गई है वो कृषि सर्वेयरों की गलती है, इसका भुगतमान किसान क्यों करें।
निवेदन देने वालो में संगठन के जिलाध्यक्ष भाऊराव ऊके, तालुका अध्यक्ष छत्रपाल तुरकर, जिला परिषद सदस्य अनंदा वाढीवा, दीपा चंद्रीकापुरे, ममता वाढवे, वैशाली पंधरे,पंस सभापति मुनेश रहांगडाले, टिटूलाल लिल्हारे, किसान आघाड़ी के जिलाध्यक्ष मोहन गौतम, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष चैतालीताई नागपुरे, शैलजाताई सोनवाने, रामराज खरे, सुजीत येवले, लखन मेंढे, लखन हरिनखेड़े, कमलेश सोनवाने, चेतन बहेकार, दिलीप सिंग मुंडेले, प्रभाकर ढोमने, मीनाक्षी बारलिंगे, शशि राजू कटरे, जितेश्वरी रहांगडाले, विद्याताई कटरे, सोनुला बरेले, मंजुताई डोंगरे, मेहतर पगरवार, ज्ञानचंद जमाईवॉर, लतिश बिसेन,अरविंद हरड़े, लिमेंद बिसेन, कनीराम तवाड़े, अतुल शरणागत, राधेश्याम शरणागत, अशोक मेश्राम, प्रीतम मेश्राम, सुन्दरलाल नागपुरे, ज्ञानेश्वर राउत, सुरेश राहंगडाले, होमेन्द्र भंडारकर, दीपक वर्मा, लक्ष्मण चौधरी, गणेश पारधी, योगिप्रसाद धामड़े, नीलकंठ मानकर, आशीष नागपुरे, विक्की बघेले, ओमप्रकाश राहंगडाले, आरजू डोंगरे, मिताराम हरड़े, दिनेश तुरकर आदि सहित सैकड़ों किसानों का समावेश रहा।