संघ प्रमुख के बयान पर घमासान के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटी RSS और BJP

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(साभार मुकनायक से) नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत की ओर से पंडितों के खिलाफ दिए बयान के बाद संघ और भाजपा के ब्राह्मण नेता डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। इस बयानबाज़ी से नौ राज्यों में होने वाले चुनाव पर भी असर पड़ सकता है। इस कारण अब आरएसएस और बीजेपी इस बयान से होने वाले नुकसान को रोकने में जुटे हैं। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ब्राह्मणों ने संघ प्रमुख के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए टिप्पणियां शुरू कर दी हैं। विपक्ष ने भागवत के बयान को हथियार बनाकर एक तीर से दो निशाने साधने की रणनीति बनाई है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र में मुंबई में मोहन भागवत संत शिरोमणि रोहिदास जयंती पर एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में वह विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा, “मुझे संत रोहिदास पर बोलने का सौभाग्य मिला यह मेरे लिए खुशनसीबी है। संत रोहिदास और बाबासाहेब ने समाज में सामंजस्य स्थापित करने के लिए काम किया। देश और समाज के विकास के लिए जिन्होंने मार्ग दिखाया वो संत रोहिदास थे क्योंकि समाज को मजबूत करने और आगे बढ़ाने के लिए जो परंपरा की जरूरत थी वो इन्होंने दी है।”

>सोशल मीडिया पर जमकर हुई अवहेलना, नौ राज्यों के चुनाव पर पड़ सकता है प्रभाव

संघ प्रमुख के बयान के बाद रविवार शाम से ही विप्र समाज में नाराजगी दिखनी शुरू हो गई। सोमवार दोपहर तक सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर ब्राह्मणों ने भागवत, संघ और भाजपा को घेरना शुरू कर दिया। ब्राह्मणों ने सोशल मीडिया पर भागवत के बयान की निंदा करते हुए उसे राजनीति से प्रेरित बताया। इस साल राजस्थान, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और मिजोरम सहित नौ राज्यों में चुनाव होना है।

आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी ब्राह्मण वोट बैंक भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनाव में केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में भाजपा सबसे अधिक यूपी पर निर्भर है। यूपी में ब्राह्मण समाज की करीब 12 फीसदी आबादी है। आगामी नगरीय निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाज की नाराजगी भांपकर संघ और भाजपा के नेताओं ने भागवत के बयान का बचाव किया है।

सबसे पहले आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि मोहन भागवत ने पंडित शब्द का उपयोग ज्ञानियों के लिए इस्तेमाल किया था, न कि किसी जाति धर्म के लिए। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने भाषण के दौरान पंडित शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसका मतलब विद्वान या ज्ञानी होता है। इसका गलत मतलब निकालकर मुद्दा बनाया जा रहा है।

भाजपा के नेताओं ने संघ की लाइन को ही आगे बढ़ाया। भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि संघ प्रमुख के बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। उन्होंने पंडित शब्द का उपयोग ज्ञानी या विद्वान के लिए किया है, न कि ब्राह्मण समाज के लिए किया है। राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक और श्रम कल्याण परिषद के पूर्व अध्यक्ष पंडित सुनील भराला का कहना है कि विपक्ष भागवत के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है। ब्राह्मण समाज विपक्ष के बहकावे में आने वाला नहीं है। संघ प्रमुख का बयान किसी जाति धर्म के खिलाफ नहीं है, उन्होंने पंडित शब्द का उपयोग ज्ञानी या विद्वान के लिए किया है।

रामचरित मानस की चौपाई पर भाजपा को घेर रहा विपक्ष अब संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को हथियार बनाकर एक तीर से दो निशाने साधने में जुट गया है। विपक्ष की रणनीति है कि रामचरित मानस की चौपाई के जरिये भाजपा और संघ को दलितों और पिछड़ों के बीच कटघरे में खड़ा रखा जाए। साथ ही इस मुद्दे को हवा देकर अब ब्राह्मणों में भी नाराजगी पैदा की जाए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को ट्वीट कर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर तंज कसा। उन्होंने लिखा कि भगवान के सामने तो स्पष्ट कर रहे हैं। कृपया इसमें यह भी स्पष्ट कर दिया जाए कि इंसान के सामने जाति-वर्ण को लेकर क्या वस्तु स्थिति है?

इसी तरह रामचरित मानस की चौपाई पर विवाद खड़ा करने वाले सपा एमएलएसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने संघ प्रमुख के बयान को आधार बनाते हुए कहा कि जाति व्यवस्था पंडितों (ब्राह्मणों) ने बनाई। स्वामी प्रसाद ने कहा कि भागवत के बयान ने धर्म की आड़ में गाली देने वाले ढोंगियों की कलई खोल दी है। कम से कम अब तो रामचरित मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिए आगे आना चाहिए। यदि यह बयान मजबूरी का नहीं है तो भागवत को साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर गलत टिप्पणी हटवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नहीं है।