विदर्भ राज्य के निर्माण का यह ‘डेडलाइन वर्ष’

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भंडारा-पृथक विदर्भ राज्य के निर्माण के लिए आवाज बुलंद करने बनी विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के वरिष्ठ सदस्य पूर्व विधायक अधि. वामनराव चटप ने यहां कहा कि ‘नागपुर करार’ और ‘विदर्भ वैधानिक विकास निगम’ जैसी व्यवस्थाएं विदर्भ के राह की बड.ी बाधाएं हैं. केंद्र और राज्य की सरकारों को चाहिए कि वह इन व्यवस्थाओं को कालबाह्य करार देकर विदर्भ को स्वतंत्र राज्य के रूप में गठित करने का प्रस्ताव करें. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उनकी समिति ने विदर्भ राज्य के गठन की अंतिम समय-सीमा वर्ष 2015 तय की है. विदर्भ राज्य के निर्माण का यह ‘डेडलाइन वर्ष’ है और यदि इस एक वर्ष के भीतर सरकार ने विदर्भ के गठन के संदर्भ में ठोस निर्णय न लिया तो समिति इसके बाद कड.ा रुख अपनाने को विवश होगी. पृथक विदर्भ राज्य पर जनजागृति के प्रस्तावित विदर्भ गर्जना यात्रा की पूर्वतैयारी के लिए यहां बुलाई गई जिला समिति की बैठक के बाद वह पत्रकारों को जानकारी दे रहे थे.
चटप ने बताया कि नागपुर करार सरीखी कालबाह्य हो चुकी संकल्पनाएं विदर्भ और विदर्भ की जनता पर सतत अन्याय करती आई हैं. उसी के विरोधस्वरूप उनकी समिति नागपुर करार की होली जला चुकी है. विदर्भ वैधानिक विकास निगम का कार्यकाल इस वर्ष अप्रैल में पूर्ण हो रहा है और सरकार उसकी अवधि बढ.ाने की फिराक में है. समिति इसका विरोध करती है. हमारी मांग है कि निगम की अवधि बढ.ाने की बजाए सरकार नए विदर्भ राज्य के निर्माण का प्रस्ताव करे.
उन्होंने बताया कि पृथक विदर्भ राज्य का गठन वर्तमान समय की पहली जरूरत है. सरकार आर्थिक संकटों से घिरी है. विदर्भ का अनुशेष लगातार बढ.ता जा रहा है. हाल ही में आई केलकर समिति की रिपोर्ट ने अनुशेष पूर्ण करने के लिए 4.50 लाख करोड. रुपए की जरूरत जताई है. यह इसलिए संभव नहीं है क्योंकि वर्तमान में राज्य 3.44 लाख करोड. रुपए के कर्ज में डूबा है. इस वर्ष पडे. अकाल के कारण सरकार 26 हजार करोड. रुपए का राजस्व घाटा उठाना पड.ा है, जिसके चलते सरकार बजट में 40 फीसदी कटौती का निर्णय लिया है, जोकि विदर्भ पर अन्याय का ही परिचायक है. पत्र परिषद में राकांपा जिलाध्यक्ष तथा समिति के जिला समन्वयक मधुकर कुकडे., भंडारा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जिया पटेल, पूर्व मंत्री डॉ. रमेश गजबे, अधि. पद्माकर टेंभुर्णे, बी. एम. गजभिए, सौरभ दिवटे उपस्थित थे