
गोंदिया। 75 वे स्वतंत्रता दिवस अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर एवं संत गोस्वामी जी की जयंती के उपलक्ष्य में गोंदिया के साहित्य सेवियों द्वाराभारत के विभिन्न राज्यों के साहित्यकारों की ऑनलाइन के माध्यम से काव्य गोष्ठी संपन्न हुई। इस कार्यक्रम का संचालन श्री प्रमोद सोनी ने किया। प्रारंभ वरिष्ठ कवि श्री शशि तिवारी द्वारा मांँ सरस्वती की वंदना से हुआ। संत गोस्वामी तुलसीदास जी के ऊपर व्याख्यान देने वाले रमाकांत सिंह चंदेल बिलासपुर ने अपने उद्बोधन में कहा -गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म अभिनव बाल्मीकि के रूप में अवतरित हुआ । गोस्वामी जी के द्वारा रचित श्री रामचरित मानस अपने आप में एक वृहद शब्दकोष है।यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की भगवान महात्मा बुद्ध के बाद यदि सबसे बड़े समाज सुधारक कोई हैं तो गोस्वामी जी है । उनकी विचारधारा एक सेतु का कार्य करती है । उन्होंने दोहा, चौपाई, सोरठा ,एवं अनेकों छंदों का प्रयोग सहज रूप से किया । ऐसा इतिहास में कहीं देखने को नहीं मिलता जो इस ग्रंथ में एक ही जगह में प्राप्त होता है । गोस्वामी जी के द्वारा 12 ग्रंथ लिखे गए हैं जिसमें श्री रामचरित मानस , गीतावली , कवितावली , रामलला नहछू आदि है । उन्होंने माता कौशल्या को ज्ञान कांड की उपाधि, उपासना कांड के लिए माता सुमित्रा एवं कर्मकांड के लिए माता कैकेई के संदर्भ में बहुत ही सुंदर ढंग से अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । कोरबा छत्तीसगढ़ से मनीराम श्रीवास जी ने अपने उद्बोधन में कहा आज गोस्वामी तुलसीदास जी की 524 वी जयंती है उन्होंने गुरु नरहरि जी के द्वारा काशी में शिक्षा एवं दीक्षा प्राप्त की। गोस्वामी जी ने श्री रामचरित मानस को 2 वर्ष 7 माह 26 दिन में लिखकर एक नया आयाम प्रस्तुत किया है । इस महाकाव्य की यह विशेषता है इसके प्रारंभ और अंत व अक्षर से हुआ है श्री रामचरित मानस एक उपन्यास नहीं , एक ऐतिहासिक घटना नहीं ,मानस एक साहित्यिक दर्शन नहीं , मानस मानव चरित्र का एक महान ग्रंथ है जो पूर्णतः जीवन भर यदि इसका पालन किया जाए तो अक्षरसह खरा उतरता है। स्वामी विवेकानंद के जीवन पर श्री रामचरित मानस का गहरा प्रभाव पड़ा । इस कार्यक्रम में भारत के कई राज्यों से साहित्यकारों ने स्वतंत्रता दिवस एवं संत गोस्वामी तुलसी दास जी के ऊपर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की जिनमें गोंदिया से शशि तिवारी , छगन पंचे , तुमसर से प्रतिभासिंह राणा , कोलकाता से आशा मिश्रा (राजभाषा अधिकारी दक्षिण पूर्व रेलवे) , रेणु बाजपेई , बिलासपुर से राम रतन श्रीवास , कोरबा से रमाकांत श्रीवास , चैतन्य मातुरकर , असीम आमगांवी, सुरेंद्र जगने, निखिलेशसिंह यादव सभी साहित्यकारों ने अपनी काव्य रस धारा के माध्यम से शमां बांधे रखा और बेहतरीन प्रस्तुति दी अंत में प्रमोद सोनी के द्वारा खुशनुमा माहौल में आभार प्रकट करते हुए स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी गई ।