लाँजी तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर कर कर्मचारी ने किया पाँच लाख गबन

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कर्मचारी साकेत वानखेड़े से लांजी पुलिस की पूछताछ जारी, एसडीएम ने दी जानकारी
– रसूखदारों के खातों में डाले गए चेक से पैसे
लांजी(श्रेयष तिडके)। तहसील कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी द्वारा एसडीएम रविंद्र परमार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार लगभग 05 लाख रूपयों के गबन का मामला सामने आया है,देर रात इस मामले मे एफ आई आर दर्ज कर ली गयी है। इस संबंध में प्राप्त जानकारी की माने तो ऐसे अनेक रसूखदार है जिनके खातों में हजारो रूपयों या 01 लाख तक के रूपए डाले गए। साकेत वानखेड़े द्वारा इस घपले को अंजाम देने की बात प्राथमिक तौर पर सामने आयी है लेकिन लाखों रूपयों के इस खेल में और भी लोगों के नाम सामने आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। बहरहाल लाखों रूपयों का यह घोटाला किस करवट बैठता है और इसका अंजाम किस-किस को भुगतना पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी। बतौर लांजी एसडीएम उक्त कर्मचारी को 48 घंटे के भीतर संस्पेंड कर दिया जाएगा।

– तहसील कार्यालय से लाखों की हेराफेरी
लांजी का तहसील कार्यालय पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए न्याय का मंदिर है ऐसे में इस कार्यालय में बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की नाक के नीचे ही लाखों रूपयों का घपला माननीय तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर कर खेल दिया गया। गौरतलब है कि इस घपले की बूं बड़े रसूखदारों के घरों तक जा पंहुची है और इस बात से कि तहसील कार्यालय के कर्मचारी के द्वारा लाखों रूपयों की हेराफेरी कर दी गई है पूरा क्षेत्र अलग ही गर्माहट महसूस कर रहा है। इस मामले के सामने आते ही पुलिस ने साकेत वानखेड़े को लांजी पुलिस थाने में पूछताछ के लिए बुला लिया और समाचार लिखे जाने तक साकेत वानखेड़े पुलिस थाना लांजी में ही था। बहरहाल कुछ गुप्त सूत्रों की माने तो साकेत लगभग 04 लाख रूपए वापस करने के लिए भी तैयार है।

– 05 लाख और 48 घंटे में सस्पेंड
इस संबंध में जब लांजी एसडीएम रविंद्र परमार से फोन पर चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि तहसील कार्यालय में पदस्थ साकेत वानखेड़े के द्वारा लगभग 05 लाख रूपए का तहसीलदार लांजी के फर्जी हस्ताक्षकर करते हुए गबन किया गया है और जब यह मामला सामने आया है तो उसके खिलाफ एफआईआर की जाएगी और  कलेक्टर  द्वारा 48 घंटे के भीतर सस्पेंड कर दिया जाएगा। विभागीय जांच जारी रहेगी और जांच के बाद जो भी आदेश होगा उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
देर रात इस मामले मे एफ आई आर दर्ज कर ली गयी है।

– मामला रसूखदारों तक ?
इस मामले में जहां सिर्फ साकेत वानखेड़े को प्रमुख रूप से आरोपी बनाया गया है तो वहीं इस मामले से अनेक रसूखदारों को भुगतान की जानकारी भी सामने आयी है, ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि लोगों के बैंक खाते में यह पैसा गया है तो उन लोगों ने यह पता लगाने की कोशिश क्यों नहीं की या भुगतान किससे द्वारा इतने बड़े अमाउंट में आया इसे वेरिफाई करने की जहमत क्यों नहीं उठाई? तो सवाल यह भी पैदा होता है कि यदि किसी ने यह पता लगा लिया कि यह पैसा किस खाते से आया है तो इसके संबंध में तहसील कार्यालय अथवा तहसीलदार को सूचित क्यों नहीं किया। सूत्रों की माने तो इस मामले में साकेत वानखेड़े द्वारा अपने खास लोगों को इस प्रकार से 05 लाख से भी अधिक भारी रकम को अदा किया है, बहरहाल कितने जल्दी प्रशासन इस मामले में सहआरोपियों के गले तक जांच का फंदा पहनाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

– भारी रकम से प्रशासन अनजान कैसे?
वहीं सूत्रों ने तो इस बात पर भी चर्चा प्रारंभ कर दी है कि आखिर यह कैसे संभव है कि लाखों रूपयों का घपला सामने आया लेकिन जब तहसील प्रशासन के वित्तीय खाते से भुगतान किया गया तो इस भुगतान से लांजी तहसीलदार और अन्य अधिकारियों को आखिर इसकी भनक क्यों नहीं लगी? क्या अधिकारी और संबंधित कर्मचारी इस बात से वाकिफ नहीं थे तो इसका सीधा सा अर्थ है कि प्रशासन का वित्तीय लेनदेन भगवान भरोसे था और किसी को इस बात पर ध्यान देने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई? या फिर इस बात को जानकार भी नजरअंदाज किया जाता रहा। बहरहाल इस बात की तह तक जाने पर प्रशासन की जिम्मेदारी, कर्तव्य परायणता और सजगता का पैमाना नापा जा सकेगा और इसके लिए इस जांच को कितनी जिम्मेदारी से निभाया जाएगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। शेष अगले अंक में क्रमशः..