‘प्रभु नाम, प्रभु काम एवं प्रभु ध्यान’भक्ति का आधार-संत डॉ. पवन सिन्हा

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गोंदिया,दि.३० दिसबंर- “भक्ति कैसे ?” पावन चिंतन धारा आश्रम (ग़ाज़ियाबाद) के संस्थापक परमपूज्य संत डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने गोंदिया पहुंच कर इस विषय पर सबका मार्गदर्शन किया। आश्रम की गोंदिया इकाई द्वारा शहर के प्रसिद्ध राणी सती मंदिर के प्रांगण ‘नारायणी लॉन’ में आज एक दिवसीय सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
विषय पर बात करते हुए पूज्य गुरुजी ने कहा कि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओ कि उपस्थिति देखते हुए श्री गुरुजी ने कहा भारत देश में भक्ति महिलाओ के कारण ही पुष्पित पल्लवीत हुई है।
क्या केवल दीपक जलाना भक्ति है? नहीं वह केवल भक्ति का प्रदर्शन है। इसी प्रकार घंटी बजाना मन को एकाग्र करने के लिए है। भजन गाना भाव तारतमयता के लिए आवश्यक है परन्तु यह सब भक्ति नहीं…
आश्रम के एक महत्वपूर्ण सूत्र ‘प्रभु नाम, प्रभु काम एवं प्रभु ध्यान’ को भक्ति आधार बताते हुए श्रीगुरुजी ने कहा अपने दैनिक कार्यों को नियमित रूप से करते हुए अपने मन में सदा नामजप करते रहिये। इसी प्रकार प्रभुकाम के रूप में प्रकृति कि सेवा भक्ति का एक स्वरूप है। हमारी नदियां, हमारे जंगल, पहाड़, गलेशियर सभी दूषित हो रहे हैं। इनका संरक्षण करना भी भक्ति का अभिन्न अंग है। प्रभु ध्यान पर बात करते हुए श्रीगुरुजी ने कहा ईश्वर हैं और वह दर्शन देते हैं इसके लिए नियमित रूप से ध्यान के लिए समय निकालिये। भक्ति के लिए बाधक पंच क्लेश पर बात करते हुए श्री गुरुजी ने ‘अविद्या, अस्मिता(अहंकार), रागद्वेष (ईर्ष्यानिंदा), असंतोष तथा मृत्यु का भय पर बात करते हुए गुरुजी ने कहा भक्त तो जो मिला है उसके लिए संतोष करता है और जो चाहता हैं उसके लिए मेहनत करता है। इसलिए बस कर्म करते रहिए, फल की इच्छा भी कीजिये बस उसमे आसक्ति मत कीजिए। सब कार्य कर इसे ईश्वर को सौप दीजिये। ईश्वर स्वयं आपके साथ खडे हो जायेंगे।
प्रभु राम और शबरी मिलन की घटना का वर्णन करते हुए पूज्य श्री गुरुजी ने कहा अपने ईश्वर की भक्ति में कोई औपचारिकता नहीं होती वह तो ह्रदय का विषय है जिसमे आँखों से अश्रु बह निकलते हैं। रोते हुए भीलनी कहतीं हैं कि – प्रभु मैं तो अधम नीच जाति कि स्त्री हूं। आपकी भक्ति कैसे कर सकतीं हूं। उस पर राम जी कहतें हैं – “हे देवी! मैं तो केवल भक्ति जानता हूं। मुझे इसके अतिरिक्त कुछ नहीं पता।” इसका अर्थ है भगवान जातिप्रथा को बिलकुल नहीं मानते। वह तो केवल भक्त के भाव देखते हैं। इसलिए यदि आप स्वयं को भक्त मानते हैं तो इन कुरीतियों से ऊपर उठिये। इसके बाद श्री गुरुजी ने भगवान राम-शबरी संवाद के बीच ‘नवधा भक्ति’ की विस्तारपूर्वक चर्चा की।
भक्ति और जागृति के इस दिव्य कार्यक्रम में शहर के गणमान्यो में विधायक श्री विनोद जी अग्रवाल, जिला परिषद अध्यक्ष पंकज रहाँगडाले, नगर परिषद अध्यक्ष अशोक इंग्ले , सहयोग ग्रुप के फाउंडर जयश रामादे, प्रसिद्ध चावल व्यवसाई धनेश अग्रवाल, शिक्षा सभापति भावना कदम, महिला बैंक अध्यक्ष माधुरी नासरे, प्रतीक कदम, दीपक कदम, सूरज नशीने, हर्षल पवार, रवि लड्ढाणी, कल्पना देवतारे, सुधीर बजाज ,पूजा तिवारी,कल्पना देवतारे,सूजता बहेकर,श्रुति केकत , स्नेहा कदम, राजेश कनोजिया, आदेश शर्मा,उपस्थित थे।