ऑनलाइन ट्युटर मे निशा ठाकूर की उपलब्धी

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गोंदिया(सुरेश भदाडे)18 जनवरी- मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के छोटेसे गाँव सालेटेका मे जन्मी निशा ठाकूर ने ऑनलाइन ट्युटर के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जबलपूर स्थित राणी दुर्गावती विश्वविद्यालय से उन्होने गणित मे स्नातकोत्तर पदवी हासिल की है।
निशाजी मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाके में बसे पोवार समाज से जन्मी निशा का गोंदिया जिले के गोरेगाव तहसिल अंतर्गत आनेवाले ग्राम कवलेवाडा निवासी एॅड जय़ ठाकूर से शादी हुई है।उसके बाद वह पती के साथ दिल्ली जाकर वहा इस क्षेत्र मे कदम रखा।  पोवार समाज से ऑनलाईन ट्युटर के कार्य को करनेवाली वह प्रथम महिला शिक्षिका है। उन्होने अपने कार्य की सुरवात २००८ से कर गणित एवम हिंदी विषय का मुख्य रूपसे ट्यूटर के रुप में चयन किया2008  से अब तक देशविदेश के छात्रो के ७ हजार से अधिक सत्र उन्होने पूरे किए है। उन्होने दुनिया के करीबन १०० से अधिक छात्रो को ऑनलाईन ट्यूशन दी है। इन छात्रो में तीन वर्ष से लेकर ९९ वर्ष उम्र के छात्र सम्मिलीत है। ऑनलाइन कोqचग में उनका गणित पसंदीदा विषय रहा है। इसमें गणित विषय का पाया,सुरवाती बीजगणित, बीजगणित, रेखागणित, कलागणित, संगीत गणित, सांख्यिकीय गणित समावेश है। सीबीएसई, आयसीएसई. आयजीसीसीएसई. आयबी, केस१,केस२केस ३ के छात्र निशाजी ते शिष्य रहे है। हिंदी विषय में सुरवाती qहदी, व्याकरम एवं उच्चप्रकार की हिंदी सिखाने का काम भी वह करती है। व्हाइट बोर्डपर पढना और सिखना बहुत ही लाभदायक सिद्ध हुआ है। व्हाईट बोर्डपर आप लिखना, चित्र बनाना आदी बाते करना या ऑडियो व्हिडिओ का लाभ उठाया जा सकता है। संपूर्ण सत्र की रिकार्डींग की जाती है। जिसका फायदा कही पर भी लिया जा सकता है। इस माध्यम से आप अपने बच्चोसहित शिक्षा प्राप्त कर एक नया रास्ता, हौसला, प्रोत्साहन एवम अनुभव प्राप्त कर सकते है।
शकुंतला देवी
जन्म – ४ नवंबर १९३९
उपलब्धिया – शकुंतला देवी भारत की एक उत्कृष्ट प्रतिभा है। १९८० में १८ जून को उन्होने लंदन में इंपिरिअल कॉलेज के कंप्यूटर विभाग द्वार उठाए गए दो १३ अंको की संख्या ७,६८६,३६९,७७४,८७० गुणा २,४६५,०९,७,७,७,७९,७९ के गुणा का हल किया। और ये मात्र २८ सेंकड के उन्होने किया।
४ नवंबर को १९३९ को कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु शहर में जन्मी शकुंतला देवी भारत की एक उत्कृष्ट प्रतिभावान व्यक्ति है। आप एक बहुत ही नम्र परिवार से है। शकुंतला देवी के पिता को सर्कस में कसरत एवम बलैqसग प्रदर्शन कार्य और बाद मे एक मानव कैनॉनबॉल के रूप में कार्यरत थे। तीन साल की उम्र में पिता के साथ कार्ड खेलते वक्त उनकी प्रतिभा का एहसास हुआŸ। उन्होने हाथ की चतुराई से नही बल्की कार्ड को याद रख अपने पिता हो खेल मे हराया था।
शकुंतला देवी के जीवन इतिहास के बारे में अधिक जानने के लिए इस जीवनी जरूर पढ़ें। जब शकुंतला देवी छह साल की थी, उन्होने मैसूर विश्वविद्यालय में उनकी गणना कौशल का प्रदर्शन किया। और ८ साल की उम्र में उन्होने अन्नामलाई विश्वविद्यालय में फिर से खुद को सफल साबित कर दिया। हालांकि, कुछ तिमाहियों से आशंका के बावजूद, शकुंतला देवी ने ट्रुमैन हेनरी सैफर्ड जैसे अन्य प्रियजनों की तरह बढते उम्र के साथ साथ खुदकी गणना क्षमता को नहीं खोया।
दूसरी ओर १९७७ में शकुंतला देवी ने मानसिक रूप से अंक संख्या २०१ की २३ वीं रूट प्राप्त की। १९८० में १८ जून को, उन्होने दो १३ अंकों की संख्या ७,६८६,३६९,७७४,८७० गुणा २,४६५,०७९,७७७,७९९ को हल किया, जिसे लंदन में इंपीरियल कॉलेज के कंप्यूटर विभाग द्वारा बेतरतीब ढंग से चुना गया। यह कारनामा उन्होने मात्र २८ सेकंड के किया। इस गुणा राशि का सही उत्तर १८,९४७, ६६८,१७७,९९५,४२६,४६२,७७३,७३० था। इस घटना को १९९५ के प्रसिद्ध गिनीज बुक ऑफ रिकॉड्र्स के २६ वें पेज पर शामिल किया गया है।