नई दिल्ली।अगले पांच साल में कम से कम 293 कंपनियों ने 266 गेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी जनरेट करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इन कंपनियों ने देश में रिन्यूएबल पावर प्लांट लगाने में रुचि दिखाई है और यह भी सुनिश्चित किया कि वह इक्यूप्मेंट मैन्युफैक्चरिंग करेंगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोलर और विंड पावर जैसी रिन्यूएबल एनर्जी को डेवलप करने के लिए इनोवेशन और रिसर्च पर जोर दिया ताकि सभी को सस्ती बिजली मुहैया कराई जा सके। वर्तमान में भारत सीमित ऊर्जा स्रोतों और इंपोर्ट की ऊंची लगात का सामना कर रहा है।
विज्ञान भवन में रविवार को आयोजित रि-इन्वेस्ट 2015, रिन्यूएबल एनर्जी ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट एंड एक्सपो में प्रधानमंत्री ने सोलर पावर को बढ़ावा देते हुए टेक्नोलॉती सॉल्यूशन डेवलप करने के लिए 50 देशों के साथ समझौता करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मानव विकास में एनर्जी की भूमिका बहुत ही अहम है।
अपने भाषण में उन्होंने एनर्जी सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करने और इसे नई ऊंचाई तक ले जाने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि हम विकास की रफ्तार बढ़ाना चाहते हैं और साथ ही विकास की नई बुलंदियों को छूना चाहते हैं। हमारे इस प्रयास में एनर्जी ऐसा ही एक सेक्टर है जिसे ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं।
गुजरात के पूर्व मुख्य मंत्री के तौर पर उनके अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया कि गुजरात में नहरों के ऊपर सोलर पैनल को लगाया था गया था जिससे न केवल बिजली पैदा करने में मदद मिली थी बल्कि पानी के भाप बदलने में 40 फीसदी की कमी आई थी। मोदी ने कहा कि सोलर एनर्जी का इस्तेमाल बिजली से चलने वाले सिंचाई पंप और माइक्रो सिंचाई के जरिए फसल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सोलर फोटोवॉलटेक सेल के जरिए बिजली की लागत 20 रुपए प्रति यूनिट से घटकर 7.50 रुपए आ गई है। वहीं, रिसर्च एवं इनोवेशन की मदद से इसे और कम किया जा सकता है।
हाइब्रिड पावर जेनरेशन में सोलर एंड विंड एनर्जी शामिल हैं जिसे प्रोत्साहित करने से ट्रांसमिशन और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लागत की बचत में भी मदद मिलेगी। मोदी ने रिन्यूएबल एनर्जी इक्यूप्मेंट के घरेलू मैन्युफैक्चरिंक को बढ़ाने की बात भी कही जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।