नगर में धूमधाम पूर्वक डीजे की धुन पर रैली निकालकर मनाया गया धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस

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लांजी। गुरूवार 14 अक्टूबर को लांजी में धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया गया, इस अवसर पर लांजी नगर मुख्यालय के आंबेडकर वार्ड में बौद्ध धर्म अनुयायियों के द्वारा भगवान बुद्ध के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर रैली निकाली गई जो नगर के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों से भ्रमण करते हुए लांजी के सुभाष चौक पंहुची, इस दौरान बौद्ध धर्म अनुयायियों द्वारा डीजे की धुन पर प्रवर्तन यात्रा निकाली गई। इस अवसर पर प्रमुख बौद्व धर्म समाजसेवी के.के. भालाधरे ने बताया कि बुद्ध ने सारनाथ में जो प्रथम धर्माेपदेश दिया था उसे धर्मचक्र प्रवर्तन भी कहा जाता है। आरम्भिक काल से ही प्रायः सभी बौद्ध मन्दिरों, मूर्तियों और शिलालेखों पर धर्मचक्र का प्रयोग अलंकरण (सजावट) के रूप में किया गया मिलता है।

वहीं शिक्षक दिपक रामटेके द्वारा बताया गया कि वर्तमान में धर्मचक्र बौद्धधर्म का प्रमुख प्रतीक है। गौतम बुद्ध जी को जब आत्म ज्ञान उपलब्ध हुआ तो उसके पश्चात उन्होंने सारनाथ में अपने पहले 5 शिष्यों को गुरु पूर्णिमा के दिन धर्म के 8 सूत्र बताए जिन्हें अष्टांगिका कहा गया। आष्टांगिक अर्थात जीवन को सुधारने के 8 कदम। प्रारंभिक बौद्ध इसे श्काल चक्रश् कहते रहे थे, अर्थात समय का चक्र। समय और कर्म का अटूट संबंध है। कर्म का चक्र समय के साथ सदा घूमता रहता है। कालांतार में यही धर्म चक्र प्रवर्तन कहलाने लगा।

इसके अलावा उक्त संपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थित धरमजीत खोब्रागड़े द्वारा बताया गया कि बुद्ध के उपदेश देने के इस कार्य को ही धर्म चक्र के आरम्भ का अथवा प्रवर्तन का सूचक माना गया और इसे एक चक्र में आठ तीलियों के रूप में दर्शाया जाने लगा और इसे धर्मचक्र का नाम दिया गया। विदित हो कि धम्मचक्र के आठ पहिए तथागत बुद्ध के बताए हुए अष्टांगिक मार्ग को दर्शाते हैं। बाद के अनुयायियों ने 24 आवश्यक गुण निर्धारित किए जैसे धैर्य, श्रद्धा, आत्म नियंत्रण आदि, इन्हें भी बाद के धर्मंचक्र में 24 आरियों के रूप में प्रतीक रूप दर्शाया जाने लगा। अशोक के प्रस्तर लेखों में भी धर्मचक्र है और अशोक स्तम्भ में यह चक्र 24 आरियों का है। इसे ही भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अपनाया गया है। इस अवसर पर के.के. भालाधरे, दिपक रामटेके, धरमजीत खोब्रागड़े, बुद्धवर्धन उईके, संदीप मेश्राम, प्रदीप मेश्राम, विजय गोस्वामी, रामटेके, शुद्धोधर वासनिक आदि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।