एक माह में 4 सारस की मौत

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..अगर संवर्धन नहीं किया तो प्रेम के प्रतीक सारस के दर्शन भी दुर्लभ हो जाएंगे..

गोंदिया। महाराष्ट्र राज्य के अकेले गोंदिया जिले में पाया जाना वाला दुर्लभ पक्षी सारस अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। उसके संरक्षण व संवर्धन पर लाखों खर्च करने के बावजूद उसकी संख्या बढ़ना तो दूर, सारस की मौत से संख्या घटती ही जा रहीं है। ज्ञात हो की जिले में 2022 की गणना अनुसार कुल 36 सारस पक्षी थे। परंतु इनमें से अबतक एक माह में 4 सारस पक्षियों की अलग अलग जगह मौत हुई। अब जिले में सिर्फ 32 सारस संख्या रह गई है। 3 वर्षों के आंकड़े देखें तो दासगाव में 2, डागुर्ली में 1, परसवाड़ा 1, पांजरा 1, कामठा में 2 एवं 10 दिसंबर को घाटटेमनी में 1 सारस पक्षी की मौत हुई। ऐसे कुल 8 सारस पक्षी की मौत 3 साल के भीतर हुई है।
22 नवंबर को सारस जोड़े की विद्युत प्रवाह की चपेट में आने से मौत हो गई, वही डांगोरली के एक खेत परिसर में सारस घायल अवस्था में मिला था, जिसकी नागपुर में उपचार के दौरान मौत हो गई। अब खबर आयी है कि कामठा से कुछ किमी दूर घाटटेंभनी में एक सारस पक्षी फिर विद्युत करंट की चपेट में आने से मृत पाया गया।
ये मृत सारस घाटेमनी के रिधीराम मेन्ढे के खेत परीसर में 10 दिसंबर को  5 बजे के दरमियान पाया गया। इसकी जानकारी जानकारी वनविभाग आमगांव को घाटेमनी के सारस मित्र बबलू चुटे, डॉ कैलाश हेमने, मधूसुदन डोये, उपसरपंच रामचंद ठाकरे एवं मुकेश कोरे ने दी।
 कहते है कि इस परिसर में एक जोड़ा सारस दिखाई देता था, जिसमें एक सारस की मौत हुई। पक्षी संवर्धन के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, फिर भी पक्षी असुरक्षित हैं।