उम्मीदवारों को सिर्फ एक सीट से चुनाव लड़ना चाहिए : लॉ कमिशन

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नई दिल्ली-चुनाव सुधारों पर विधि आयोग की कुछ सिफारिशों में एक उम्मीदवार को एक ही सीट से चुनाव लड़ने तक सीमित करना, सीईसी और चुनाव आयोग के 2 अन्य सदस्यों की नियुक्ति कॉलेजियम के जरिए करना और निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने जैसे सुझाव शामिल हैं। चुनाव सुधारों पर साल भर के अंदर अपनी दूसरी रिपोर्ट में विधि आयोग ने अनिवार्य मतदान के विचार को भी खारिज कर दिया और सदन का कार्यकाल खत्म होने की तारीख से 6 महीने पहले सरकारी विज्ञापनों का नियमन करने और उन पर पाबंदी लगाने पर जोर दिया ताकि चुनाव की शुचिता बनी रहे। चुनाव में इस्तेमाल होने वाले पैसे के मुद्दे पर इसने कहा है कि उम्मीदवारों के चुनाव खर्च अभी नामांकन दाखिल करने की तारीख से रिजल्ट आने तक के समय के जोड़े जाते हैं। इस अवधि को इलेक्शन नोटिफिकेशन की घोषणा होने की तारीख से रिजल्ट आने तक बढ़ाया जाना चाहिए। आयोग ने कहा है कि कंपनी फंड से किसी राजनीतिक पार्टी को फंड के योगदान का अधिकार निदेशक मंडल की बजाय कंपनी की सालाना आम सभा को देने के लिए कंपनी अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए।

‘निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध हो’

आयोग ने कहा है कि चुनाव खर्च का ब्यौरा और पैसे के योगदान की रिपोर्ट देने में किसी उम्मीदवार के नाकाम रहने पर उसे चुनाव लड़ने से अयोग्य रखने की मौजूदा अवधि 3 साल से बढ़ा कर 5 साल की जानी चाहिए ताकि इसमें चूक करने वाला उम्मीदवार कम से कम अगला चुनाव नहीं लड़ पाए। चुनाव आयोग का समर्थन करते हुए विधि आयोग ने कहा कि ‘खबरों के लिए पैसे देने या लेने’ को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में चुनावी अपराध के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाए जाने पर आयोग ने कहा कि मौजूदा सिस्टम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की बाढ़ की इजाजत देती है, जिनमें ज्यादातर ‘डमी’ या गैरसंजीदा उम्मीदवार होते हैं या ऐसे लोग होते हैं जिनके एक जैसे नाम होते हैं और वे सिर्फ मतदाताओं में भ्रम बढ़ाते हैं।