तिरंगे में लिपटी लाशें देख लहू मेरी आँखों से टपक आता है

0
41

कवियों ने हास्य-व्यंग्य, गजल, गीतों के साथ देशभक्ति की रचनाओं से श्रोताओं को लुभाया
शानदार रहा गुणाधीश का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
गोंदिया। गोंदिया नगर में कवि सम्मेलनों का अपनी एक ऐतिहासिक परंपरा रही है, जो सतत चली आ रही है। और देश के प्रतिष्ठित महान कवियों की रचनाओं से यहाँ के रसिक श्रोता लाभान्वित होते रहे हैं। इसी परंपरा को कायम रखते हुए श्री राष्ट्रीय शिक्षण संस्था, साहित्य मंडल एवं गुणाधीश चैनल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन निश्चित ही यादगार साबित होगा, ऐसी अपेक्षा में रखता है। उपरोक्त उद्गार नगराध्यक्ष  अशोक इंगले ने यहाँ नूतन विद्यालय परिसर, मामा चौक में 1 जून शनिवार को आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये और कवियों को अपनी शुभकामनाएँ प्रदान की। इसके साथ ही भीषण गर्मी के समय जारी जलसंकट के निवारणार्थ नगर परिषद के भगीरथी प्रयासों का जिक्र करते हुए नागरिकों से पानी की बर्बादी न कर भविष्य के लिए जलसंचय करने का भी उन्होंने विनम्र अनुरोध किया।
इस प्रसंग पर श्री राजस्थानी ब्राह्मण सभा ट्रस्ट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं साहित्य मंडल के वरिष्ठ सलाहकार श्री बजरंगलाल शर्मा एवं श्री राष्ट्रीय शिक्षण संस्था के सचिव अमृत इंगले बतौर प्रमुख अतिथि मंच की आसंदी पर विराजमान थे। श्री शर्मा एवं अमृत इंगले ने भी गुणाधीश चैनल की प्रथम वर्षगाँठ पर कवि सम्मेलन के आयोजन पर सराहना करते हुए सफलता हेतु शुभकामनाएँ दी एवं प्रतिवर्ष इसे जारी रखने की अभिलाषा व्यक्त की। नगराध्यक्ष अशोक इंगले का साहित्य मंडल के संयोजक शशि तिवारी, अतिथि बजरंगलाल शर्मा का श्री राष्ट्रीय शिक्षण संस्था के उपाध्यक्ष अजय इंगले एवं अमृत इंगले का कवि सम्मेलन संयोजक निखिलेशसिंह यादव ने पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। पश्चात आमंत्रित प्रख्यात कवियों का स्वागत साहित्य मंडल सचिव मनोज एल. जोशी, सहसचिव लक्ष्मीकांत कटरे, प्रकाश मिश्रा, मनोज बोरकर, जितेंद्र तिवारी, मुख्याध्यापक वाय. पी. बोरकर, मुख्याध्यापक वी. जे. रावते आदि ने किया।
नगराध्यक्ष एवं अतिथियों के हाथों आमंत्रित कवियों को गुणाधीश सम्मान स्मृतिचिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। आरंभिक कार्यवाही का संचालन करते हुए कवि छगन पंचे ‘छगन’ ने गुणाधीश चैनल के उद्देश्यों, साहित्य मंडल की 62 वर्षीय गतिविधियों एवं श्री राष्ट्रीय शिक्षण संस्था की शैक्षणिक उपलब्धियों की जानकारी दी।
कवि सम्मेलन का आगाज करते हुए प्रसिद्ध मंच संचालक एवं कवि श्री नश्तर इलाहाबादी ने अपने विशेष अंदाज में चार पंक्तियाँ- ‘चैन-ओ-करार लेकर लौटेंगे, दिल का इकरार लेकर लौटेंगे, आपने प्यार से बुलाया है, आपका प्यार लेकर लौटेंगे’, सुनाकर आरंभ से ही श्रोताओं को वशीभूत कर लिया। ‘रहे आवाज में जादू, गले में जान दे दो माँ, मधुर धुन गुनगुनाने, मधुर-सी तान दे दो माँ’ इन शब्दों से छंद विधा के सशक्त हस्ताक्षर साहेबलाल सरल ने माँ सरस्वती की वंदना की। उभरते युवा कवि पंकज जुगनू ने ‘वो जमीं मेरी, वही आसमान है, वही मेरा खुदा, वही भगवान है, क्यों जाऊँ मैं उसे छोड़कर, माँ के चरणों में ही सारा जहान है’ तथा गीत ‘एतबार जताने मत आना, संसार बसाने मत आना, गर हो जाए मौत मेरी, आँसू बहाने मत आना’ सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। ओज के युवा शिल्पकार विनोद विद्रोही ने जब ‘आतंक से हर रोज मेरी भारत माँ का सीना छलनी होता जाता है, तिरंगे में लिपटी लाशें देख लहू आँखों से टपक आता है, तब मेरी कलम इस कदर तड़प जाती है, प्यार की भाषा छोड़ अंगारे बरसाती है’ काव्य पाठ प्रारंभ किया, तो सारा वातावरण तालियों से गूँज उठा। पश्चात शायर किशोर सोनवाने ‘अनीश’ ने – ‘खुशी हर एक मेरे घर की, यूँ सन्नाटे में रहती है, महीना खत्म होने तक नजर आटे में रहती है, पीती अश्क-ए-गम ताउम्र बच्चों के लिए लेकिन, वो माँ ही है जो सदा हर हाल में घाटे में रहती है’ जैसी रचनाओं से काव्य की गरिमा को बरकरार रखा।
हास्य-व्यंग्य के लिए काव्यमंचों के प्रख्यात कवि अंतु झकास ने छोटी-छोटी हास्य की फुलझड़ियाँ छोड़ते हुए श्रोताओं को खूब हँसाया, वहीं – ‘कोई जीते, कोई हारे, अपना क्या; मेहनत करते साँझ-सकारे, अपना क्या; किसने कहा था, निर्दलीय खड़ा हो जा, बैठे-बैठे अब झक मारे; अपना क्या; फिर से सत्ता हाथ आ गई मोदी जी, कैसा क्या है आप संभाले; अपना क्या’ हजल के साथ पानी की समस्या को लेकर करारा व्यंग्य एवं श्रोताओं की विशेष माँग पर अपनी प्रसिद्ध रचना कन्या भ्रुण हत्या को जब प्रस्तुत किया तो सारे सदन ने खड़े होकर करतल ध्वनि से उनका अभिनंदन किया और कवि सम्मेलन को गरिमामय ऊँचाई प्रदान की। इसी क्रम को आगे बढ़ाया भुवनसिंह धाँसू ने, बानगी स्वरूप उनकी पंक्तियाँ – ‘हथेली पर लिये जान, सीमा पर खड़ा जवान, लहराता तिरंगा, राष्ट्रगान को प्रणाम है, माता भारती की आन-बान को संभाले हुए, भारत की सेना नौजवान को प्रणाम है, धरती का सीना चीर फसल उगाने वाले, पसीना बहानेवाले काम को प्रणाम है।’ और वे मंच पर छा गए। मधुर गीतों के सृजक प्रदीप दर्शन के स्वरों का जादू श्रोताओं पर गहरा असर कर गया, और वे गुनगुनाते रहे – ‘समंदर के किनारों में, बहारों के बसेरे हैं, लहरों के थपेड़ों में जवां मस्ती के डेरे हैं, मिलन की आस में पागल, उफनती और मचलती है, ये चंचल धार नदियाँ की सृजन श्रंगार करती है।’ कविवर साहेबलाल सरल ने भी श्रोताओं की वाहवाही प्राप्त करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी कुछ इस कदर से – ‘संविधान देश का मानता विधान नहीं, उनका सम्मान तुम्हें छोड़ देना चाहिए, देश के खिलाफ काम करता है जो, सर देशद्रोहियों का फोड़ देना चाहिए, लेखनी की धार, जरा और जोरदार बने, लेखनी की धार को मोड़ देना चाहिए, चूहे के समान आज देश को कुतरते जो, ऐसे तंत्रियों के दंत तोड़ देना चाहिए।’ कवि सम्मेलन को चिर-स्मरणीय बनाने में जहाँ कवियों ने सुंदर एवं सार्थक प्रस्तुति दी, वहीं मंच संचालक नश्तर इलाहाबादी ने अपनी रचनाओं के साथ देश के प्रख्यात कवि-शायरों के शेर, मुक्तकों एवं हास्य की फुहारों के माध्यम से संचालन कर कवियों एवं श्रोताओं के मध्य बखूबी तालमेल बनाए रखा, जिसके लिए सभी ने उनकी खुलकर सराहना की।आभार प्रदर्शन साहित्य मंडल सचिव मनोज एल. जोशी ने किया।