जिला बनाने की मांग को लेकर बंद रहा बैहर, परसवाड़ा और बिरसा

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  1. बैहर पांढुरना से दस गुना बड़ा है और हर दृष्टि से जिला बनाए जाने योग्य है।
  2. 1867 में बालाघाट को जिला बनाकर दो तहसील बनी थींं, बालाघाट और बैहर।
  3. बैहर, परसवाड़ा व बिरसा क्षेत्र जंगलों और पहाड़ों से घिरा है जिससे अति संवेदनशील क्षेत्र है।

 बैहर प्रतिनिधि। सालों से बैहर को जिला बनाने की चली आ रही मांग का शनिवार को व्यापक असर देखने मिला। 25 से ज्यादा पंचायतों ने बैहर सहित परसवाड़ा और बिरसा क्षेत्र को पूर्णतः बंद रखा। बंद, दोपहर तक शांतिपूर्ण रहा। सुबह ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के बाजार बंद रहे। छोटी-बड़ी दुकानें बंद रहीं। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं जैसे दवाई दुकान, गैस सिलेंडर आदि जारी रहीं। यात्री बसों का परिवहन भी जारी रहा।

बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति सालेटेकरी जोन के माध्यम से एकजुट

बता दें कि एक दिन पहले झामुल में 18 पंचायतों के ग्रामीणों ने एकजुट होकर बैहर काे जिला बनाने बुलंद की आवाज की थी। बैहर जिला बनाओ संघर्ष समिति सालेटेकरी जोन के माध्यम से ग्राम झामुल में ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर आमसभा का आयोजन किया। सभा को संयोजक सूरज ब्रम्हे ने संबोधित करते हुए कहा कि बैहर 155 वर्ष पुरानी तहसील है। वर्ष 1867 में जब बालाघाट को जिला बनाया गया था, उस समय बालाघाट की दो तहसील बनी थींं, बालाघाट और बैहर। सरकार ने बैहर से भी छोटी से छोटी तहसील को जिला बना दिया है, लेकिन बैहर को जिला नहीं बनाया जा रहा है।

बैहर पांढुरना से दस गुना बड़ा है और हर दृष्टि से जिला बनाए जाने योग्य है

अध्यक्ष एफएस कमलेश ने कहा कि सालेटेकरी समिति ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम दिए गए ज्ञापन में लिखा है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन व रैली निकाल कर प्रशानिक अधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन देकर तथा अनेक बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को स्वयं मिलकर ज्ञापन सौंपकर बैहर को जिला बनाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन मप्र सरकार द्वारा बैहर से भी छोटी से छोटी तहसील को जिला बना दिया गया और बैहर को जिला नहीं बनाया जा रहा है। अभी हाल ही में सरकार द्वारा मात्र एक तहसील और एक उप तहसील को जोड़कर पांढुरना को जिला बनाया गया है। जबकि बैहर पांढुरना से दस गुना बड़ा है और हर दृष्टि से जिला बनाए जाने योग्य है। फिर भी बैहर को जिला नहीं बनाया जा रहा है।

बालाघाट जाने में करनी पड़ती है अधिक दूरी तय

बैहर, परसवाड़ा व बिरसा क्षेत्र जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है जिससे क्षेत्र अति संवेदनशील क्षेत्र है। बैहर जिला नहीं होने से इस क्षेत्र में नक्सली अपना पैर पसार रहे हैं। इस क्षेत्र के अंतिम गांव से जिला मुख्यालय की दूरी 160 से 165 किलोमीटर दूर है। जिला मुख्यालय की दूरी अधिक होने के कारण जंगलों और पहाड़ों से होकर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। ऐसे में जंगली जानवरों व नक्सलियों का भय बना रहता है।

क्षेत्र वन संपदा, खनिज संपदा व प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान पार्क जो की बैहर से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बैहर से 22 किलोमीटर की दूरी पर मलाजखंड कापर माइंस है, जो एशिया की सबसे बड़ी कापर माइंस है। जिससे सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की आय प्राप्त होती है, लेकिन बैहर जिला नहीं होने के कारण यहां का राजस्व इस क्षेत्र में ना लगाते हुए दूसरे क्षेत्र में लगाया जाता है। इससे यह क्षेत्र विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। क्षेत्र वन संपदा, खनिज संपदा व प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है।