निलंबित जज आर के श्रीवास बोले, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार, परिवारवाद हावी

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नई दिल्ली। महेन्द्र यादव (साभार नेशनल जनमत)

न्यायपालिका में सवर्णवाद का विरोध करने वाले सभी लोगों को इनका साथ देना चाहिए। जस्टिस कर्णन का मामला अभी पुराना नहीं हुआ है और ये एक नया मामला सामने आ गया है। एडीजे आरके श्रीवास के लगातार और बार-बार ट्रांसफर और अब सस्पेंशन की खबर अब दबाई नहीं जा सकती।
जातिगत दुर्भावना न्यायपालिका में फैली है और अपने पूरे कुत्सित रूप में है। सस्पेंड किए जाने के बाद से ही एडीजे श्रीवास को लगातार समर्थन मिल रहा है और जल्द ही वो बड़ा आंदोलन छेड़ने जा रहे हैं।
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एडीजे आरके श्रीवास को सस्पेंड कर दिया गया है। 15 माह में 4, और 17 साल में 11 बार ट्रांसफर किए गए एडीजे श्रीवास ने जजों की भर्ती प्रक्रिया और ट्रांसफर नीति के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट के खिलाफ 3 दिन का धरना दिया था।
उसके बाद एडीजे श्रीवास ने 8 अगस्त को दोपहर 1 बजे नीमच कोर्ट पहुंचकर विधिवत ज्वाइनिंग दी, लेकिन शाम 6 बजे निलंबन आदेश थमा दिया गया।
जस्टिस कर्णन की तरह एडीजे श्रीवास भी चुप बैठने वाले नहीं हैं। उन्होंने फिर से जबलपुर आकर आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है। एडीजे श्रीवास को ओबीसी होने की कीमत चुकानी पड़ रही है, और न्यायपालिका में बैठे सवर्ण जज उन्हें सहन नहीं कर पा रहे हैं।
भारतीय सेन समाज एवं मध्यप्रदेश युवा सेन समाज संगठन ने एडीजे आरके श्रीवास के बार-बार तबादला किए जाने और इसके खिलाफ आवाज उठाने पर सस्पेंड किए जाने का विरोध किया है।
एडीजे श्रीवास ने अपने निलंबन आदेश को न्यायपालिका के इतिहास में काला धब्बा बताया है।उन्हाेंने हाईकोर्ट के कठोर रवैये की तुलना अंग्रेजों के जमाने में न अपनी दलील और न वकील वाले रोलेट एक्ट से करते हुए अपनी आवाज दिल्ली तक उठाने की चेतावनी दी है।

इससे पहले वे जबलपुर में हाईकोर्ट स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे, और साइकिल रैली निकालेंगे एडीजे का कहना है कि वे अपनी ओर से उठाई गई फोर्थ क्लास भर्ती घोटाले सहित 9 बिन्दुओं पर जांच की मांग पर भी पूर्ववत कायम रहेंगे।

छह पेज के पत्र में जज श्रीवास ने कहा है कि न्यायपालिका में भाई-भतीजावाद है। यहां अपनों को रेवड़ी बांटी जाती है। हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और हैं। वह अपनी व्यथा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और रजिस्ट्रार जनरल को लिखित में जता चुके हैं। 15 माह पूर्व धार से शहडोल भेजा।
महज चार माह बाद सिहोरा ट्रांसफर कर दिया। सिहोरा में छह माह गुजरे और जबलपुर तबादला कर दिया। अभी जबलपुर में मात्र साढ़े तीन माह हुए थे कि नीमच जाने का फरमान जारी कर दिया गया। बच्चे एक ही क्लास में, दो शहरों में पढ़ाई करने पर विवश हैं।

(लेखक मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं)