होली पर जोक्स, व्यंग्य और दोहे

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होली पर berartimes.com के रीडर्स के लिए हम यहां पेश कर रहे हैं शरद जोशी के व्यंग्य। लेकिन शुरुआत सोशल मीडिया पर हिट हुए कुछ जोक्स से… आइए, पढ़िए और मुस्कुराइए…!
गर कोई पान थूक दे तो क्या होगा कुछ हस्तियों का संदेश-
कोई तुम्हारे घर पर पान खाकर थूके तो उसे पोंछ दो
-महात्मा गांधी
पर ध्यान रखो उसे पोंछते समय उसकी ही टी-शर्ट का प्रयोग करो
-योगी आदित्यनाथ
…और फिर वो टी-शर्ट उसे ही पहना दो.
– उद्धव ठाकरे.
और उस टी-शर्ट के साथ साथ उस आदमी को भी धो डालो..
-राज ठाकरे
धोने के बाद टी-शर्ट फिर से बाजार में बेच दो..
– नरेन्द्र मोदी
और जो पैसे मिले वो मुझे चंदा दे दो
-अरविंद केजरीवाल
मोदी के बयान पर आलिया की प्रतिक्रिया
मोदी : मित्रो…मेरी डिक्शनरी में इम्पॉसिबल शब्द है ही नहीं…
आलिया : अब बोलने से क्या फायदा… जब खरीदी थी तब चेक करते…

आलिया सौ मीटर दौड़ में हिस्सा ले रही थी।
रैफरी बोला- वन, टू, थ्री, गो…
आलिया को छोड़ सब दौड़ पड़े
रैफरी ने पूछा- क्या हुआ, तुम क्यूं नहीं दौड़ी
आलिया भट्‌ट : मेरा नंबर तो फोर है।

आलिया : हैलो डैड, वीकेंड पर क्या प्लान है ?
महेश भट्‌ट : इनकम टैक्स रिटर्न
आलिया : अरे! फर्स्ट पार्ट कब रिलीज हुआ?
महेश भट्ट : तू शूटिंग पर जा मेरी मांएक सज्जन बनारस पहुंचे। स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया। ‘मामाजी! मामाजी!’ – लड़के ने लपककर चरण छूए। वे पहचाने नहीं। बोले – ‘तुम कौन?’ ‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’
‘मुन्ना?’ वे सोचने लगे। हां, मुन्ना। भूल गए आप मामाजी! खैर, कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गए।’
‘तुम यहां कैसे?’
‘मैं आजकल यहीं हूं।’
‘अच्छा।’
‘हां।’
मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने लगे। चलो, कोई साथ तो मिला। कभी इस मंदिर, कभी उस मंदिर। फिर पहुंचे गंगाघाट। सोचा, नहा लें।
‘मुन्ना, नहा लें?’
‘जरूर नहाइए मामाजी! बनारस आए हैं और नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’
मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर गंगे। बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े गायब! लड़का… मुन्ना भी गायब!
‘मुन्ना… ए मुन्ना!’ मगर मुन्ना वहां हो तो मिले। वे तौलिया लपेट कर खड़े हैं।
‘क्यों भाई साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’ ‘कौन मुन्ना?’ ‘वही जिसके हम मामा हैं।’‘मैं समझा नहीं।’
‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’
वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे। मुन्ना नहीं मिला।
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के नाते हमारी यही स्थिति है मित्रो! चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे चरणों में गिर जाता है। मुझे नहीं पहचाना मैं चुनाव का उम्मीदवार। होने वाला एम.पी.। मुझे नहीं पहचाना? आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते हैं। बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट लेकर गायब हो गया। वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया। समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े हैं। सबसे पूछ रहे हैं – क्यों साहब, वह कहीं आपको नजर आया? अरे वही, जिसके हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।
पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट पर खड़े बीत जाते हैं।
बैंकर : हमारा बैंक आपको बिना इंट्रेस्ट के लोन दे रहा है
आलिया : जब आपको इंट्रेस्ट ही नहीं है तो क्यूं दे रहे हो।