मरीजों को रेफर करने का अजीबो-गरीब खेल

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गोंदिया मेडिकल कॉलेज टू नागपुर मेडिकल कॉलेज
मरीजों के साथ खिलवाड़, एमसीआय के नियमों की अवहेलना-एड.योगेश अग्रवाल

गोंदिया। कहते है, वैद्यकीय महाविद्यालय उच्च श्रेणी के डाक्टरांे, प्रोफेसरों व विशेषज्ञों का सर्वोच्च केंद्र होता है जहां आधुनिक मशीन, अनुभव और अपने रिसर्च के माध्यम से डाक्टर मरीजों का इलाज करते है और उसे स्वस्थ्य करने का कार्य करते है। इन्ही प्रोफेसरों, डाक्टरों, और विशेषज्ञों के माध्यम से डाक्टरी पेशे की शिक्षा ग्रहण करने वाले शैक्षणिक विद्यार्थी इस सर्वोच्च केंद्र से डाक्टरी गुण प्राप्त कर एमबीबीएस की डीग्री प्राप्त करते है। ये वो क्षेत्र है जिसे बेहतर इलाज का सर्वोच्च व अंतिम केंद्र माना जाता है। संभवतः इसके आगे ऐसी कोई सीढ़ी नहीं है जहां मरीजों को स्वस्थ्य करने का केंद्र हो। परंतु इस सर्वोच्च केंद्र की धज्जियां कैसी उड़ाई जा रही है और मरीजों के साथ-साथ शैक्षणिक विद्यार्थियों को कैसा पाठ पढ़ाया जा रहा है ये हम गोंदिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज को देखकर लगा सकते है। गोंदिया जीएमसी में वरीष्ठ अधिकारियों की जानबुझकर की गई लापरवाही से गोंदिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज से नागपुर मेडिकल कॉलेज मरीजों को रेफर किया जा रहा है जो एक शर्मनाक घटना है। इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं अखिल भारतीय बापू युवा संगठन के केन्द्रिय अध्यक्ष एड. योगेश अग्रवाल ने शासकीय मेडिकल में अराजकता, दुर्व्यवस्था और लापरवाही की पोल खोल रख दी है।
एड. योगेश अग्रवाल ने एक प्रेस विज्ञप्ती जारी कर शासकीय मेडिकल कॉलेज के वरीष्ठों एवं उच्च अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि वे एमसीआय को गुूमराह करने का कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि शासकीय मेडिकल कॉलेज की अर्कमण्यता के कारण जिला रूग्णालय की हालत बद से बदतर हो चली है। पिछले दो वर्षो से मेडिकल कॉलेज जिला रूग्णालय की बिल्डिंग पर चल रहा है तथा एमसीआय की जांच में यह मेडिकल कॉलेज व्यवस्थित है फिर भी यहां रोजमर्रा डाक्टरों की कमी यथावत बनी रहती है।
मेडिकल कॉलेज दो वर्ष से कागजी घोड़े के तौर पर दौड़ रहा…
प्रेस विज्ञप्ती में बताया गया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआय) किसी भी मेडिकल कॉलेज को उसके नियमों को पूर्ण किए बिना अनुमति नदी देती। परंतु गोंदिया का सरकारी मेडिकल कॉलेज अधिकारियों के कागजी कार्रवाई की पूतर्ता के आधार पर पिछले दो वर्ष से कागजी घोड़े के तौर पर दौड़ रहा है और तीसरे वर्ष में पदार्पण भी करने वाला है।
जो डाक्टर सेवारत है उसमे से अधिकतम डॉक्टर बाहरी जगहों पर भी सेवाएं दे रहे…
उन्होंने बताया कि जब भी कोई डाक्टर सरकारी जगह पर नौकरी करता है तो उसे शपथपत्र पर प्रायवेट प्रेक्टिस नहीं करता ऐसा शपथपत्र देना पड़ता है तभी उसे एनपीए अलाउंस सरकार द्वारा दिया जाता है। किंतु गोंदिया सरकारी मेडिकल कॉलेज में जो डाक्टर सेवारत है उनमे से अधिकतम डॉक्टर बाहरी प्रायवेट हॉस्पिटलों  पर भी सेवाएं दे रहे है ऐसा स्पष्ट दिखाई देता है। अक्सर डाक्टर अपने डयूटी से नदारद रहते है जिसका भूगतान मरीजों को अपनी जान देकर देना पड़ता है।
कोर्ट की अवमानना से बचने का कार्य…
उन्होंने आरोप लगाया कि यहां मरने वाले मरीजों का डेथ ऑडिट नहीं किया जा रहा जिससे ये पता नहीं चल रहा है कि मरीज के मृत्यु का मुख्य कारण कौन और क्या है। उन्होंने स्पष्ट उल्लेख किया है कि यहां के वरीष्ठ अधिकारियों ने एवं राज्य के बड़े अधिकारियों ने एमसीआय को गुमराह करने का कार्य किया है। जो चित्र वर्तमान में सरकारी मेडिकल कॉलेज में दिखाई दे रहा है मात्र उसे कागजों में दर्शाकर कोर्ट की अवमानना से बचने का कार्य वैद्यकीय शिक्षण विभाग कर रहा है।एड. योगेश अग्रवाल ने बताया कि शासकीय मेडिकल कॉलेज में अनेकों विभाग तो हैं, पर विभाग प्रमुख कभी भी मरीजों के प्रति सजग नहीं है। मात्र कागजों में उनकी उपस्थिती दर्शाई जाती है जो कि वे यहां उपस्थित नहीं रहते। सरकार एक तरफ डिजीटल इंडिया के अंतर्गत बायोमेट्रिक सिस्टम लागू कर रही है वहीं गोंदिया का मेडिकल कॉलेज आज भी परपंरागत तरीके से मस्टर रजिस्टर से कार्य कर रहा है जो एक जांच का विषय है।