अकेले सचिन कापगते को 15 पंचायतो के नरेगा के काम

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गोंदिया-गोंदिया जिले की सडक अर्जुनी तहसील की 15 पंचायतोंके महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के निर्माण कार्य एक ही ठेकेदार को सौंप दिए गए है.
यह बात न सिर्फ सूचना के अधिकार से स्पष्ट हुई है. बल्कि मनरेगा के सहायक आयुक्त (पंचायत)ने भी माना कि जांच में यह स्पष्ट हो गया है. इसी जांच में कुशल-अकुशल कामों का प्रमाण भी सही ढंग से नहीं रखे जाने की पुष्टि हुई है. इतना सब कुछ होने के बाद भी कार्रवाई करने की बजाय मनरेगा के सहायक आयुक्त ने शिकायतकर्ता को पत्र लिखकर बताया है कि उनकी शिकायत दर्ज कर ली गई है. सवाल यही है कि कोई भी शिकायतकर्ता सिर्फ शिकायत दर्ज करवाने के लिए नहीं बल्कि कार्रवाई के लिए शिकायत करता है.
सडक अर्जुनी पंचायत के उपसरपंच दिनेशकुमार अग्रवाल ने 14 जनवरी 2014 को मनरेगा के नागपुर संभाग के आयुक्त को पत्र भेजकर मनरेगा के निर्माण कायरें में अनियमितताएं होने की शिकायत की थी. शिकायत का जवाब देते हुए मनरेगा नागपुर के सहायक आयुक्त (पंचायत)ने उन्हें पत्र भेजकर कबूल किया है कि डोंगरगांव, परसोड, वडे.गांव, बौद्धनगर, सड.क अर्जुनी, कोदामेढ.ी, तिड.का, बाह्मणी, कोसबी, उशीखेड.ा, कन्हारपायली, राजगुंडा, कोकणा (जमी.), चिखली और खजरी पंचायत के सडक खड.ीकरण, सिंचाई कुएं के काम एक ही ठेकेदार सचिन कापगते को दिए गए है.
एक ही ठेकेदार को इतने सारे काम कैसे दिए गए इस पर आश्‍चर्य व्यक्त किया जा रहा है. शिकायतकर्ता की मंशा है कि इस तरह के गलत काम भविष्य में नहीं हो और इस पर रोक लगाने के लिए कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. सहायक आयुक्त ने अपने पत्र में वर्ष 2011-12 में हुए करोड.ों रुपए के कामों में कुशल-अकुशल का प्रमाण नहीं रखने की बात भी कबूल की है. उल्लेखनीय है कि अकुशल कामों पर 60 फीसदी और कुशल कामों पर 40 फीसदी खर्च किया जाता है,लेकिन ठेकेदार ने एक को अपवाद छोड.कर शेष सभी पंचायत के मनरेगा के कुशल कामोंपर अधिक खर्च किया है. अकुशल काम मुख्यत: मजदूरों को मजदूरी देने के होते हैं. इन कामों का भुगतान बैंक के माध्यम से होता है.
ऐसे में इन कामों में गड.बड.ी होने की गुंजाइश कम रहती है. जबकि कुशल काम खरीदी-बिक्री से संबधित होते हैं. इसी पर अधिक खर्च किया गया है. सरकारी नियमों के अनुसार कुशल कामों पर 40 फीसदी खर्च होना चाहिए, लेकिन परसोड.ी में 66 प्रतिशत, वडे.गांव, डोंगरगांव, कन्हारपायली में 59, बौद्धनगर 69, सड.क अर्जुनी 72, कोदामेढ.ी 67, तिड.का 74, बाम्हणी 63, कोसबी 65, राजगुड.ा 75, चिखली 73, कोकना में 66 प्रतिशत खर्च कुशल कामों पर किया गया है.
उशीखेड.ा में80 फीसदी खर्च कुशल काम पर किया गया. इसके लिए संबंधित ठेकेदार पर कार्रवाई जरूरी है, लेकिन अधिकारियों में इच्छा शक्ति होनी चाहिए. सिर्फ 30 लाख के काम कर सकता है ठेकेदार
कोई भी ठेकेदार एक वर्ष में 30 लाख रु. के ही काम कर सकता है.इससे अधिक काम उसे नहीं दिए जा सकते, लेकिन एक साथ 15 पंचायतों के तहत उक्त ठेकेदार को कौनसे नियमों के तहत काम दिए गए यह अलग से जांच का विषय है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि जांच के नाम पर भी दिखावा किया गया है. प्रत्यक्ष में अनेक अधिकारियों ने मिलकर इस गलत काम को अंजाम दिया है. सभी पंचायतों के तहत किए गए निर्माणकार्य में उपयोग में लाए गए पत्थरों की ही जांच की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी साबित हो सकता है. अगर गोंदिया जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ही चाहे तो सच्चाई सामने आ सकती है.सचिन कापगते के बारे में कहा जाता है कि उनकी सीमेंट, लोहा, रेती की कोई दुकान अस्तित्व में ही नहीं है. ऐसे में इस ठेकेदार पर इतनी मेहरबानी क्यों की गई, इस पर आश्‍चर्य जताया जा रहा है.