गुजरात में घट रहा लड़कियों का अनुपात चिंता की बात : CAG

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वृत्तसंस्था
गांधीनगर : गुजरात में हाल ही में कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) ने 2103-14 की अपनी रिपोर्ट में राज्य में लड़कियों के घटते अनुपात पर चिंता जताई है।
महिला और बाल विकास विभाग के अपने रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है की जब पूरे देश में लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात 933 से बढ़कर 943 हो गया, ऐसे में गुजरात में ये 920 से घटकर 919 हो गया, जो चिंता की बात है। सीएजी ने इस बात पर ज़ोर दिया है की ऐसा इसलिए हुआ है की खर्च होने के बावजूद सही दिशा में काम नहीं हो रहा है।
राज्य में भ्रूण परिक्षण विरोधी कानून के तहत 181 केस दर्ज किये गए लेकिन सिर्फ 6 लोगों को ही सजा दिलवाई जा सकी। ऐसे में भ्रूण हत्या के खिलाफ मज़बूत माहौल नहीं बनाया जा सकता।
महिलाओं के लिए चल रही योजनाओं पर भी चिंता जताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है की गर्भवती महिलाओं के लिए ई-ममता कार्यक्रम चल रहा है लेकिन 2009 से 2014 के बीच इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 71 लाख लाभार्थियों को दर्ज किया गया लेकिन हैरानी की बात है की सिर्फ 57.6 लाख महिलाओं की ही डिलीवरी हो पाई। बाकी के मामले क्यों नहीं आये इसकी जांच तक नहीं की गयी।
जानकारों का कहना है कि सेक्स रेशियो में सुधर इसलिये भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि सरकार पैसे तो खर्च कर रही है लेकिन प्रयास सही दिशा में नहीं हो पा रहा है। लोगों में जागृति के लिए कदम उठाने चाहिए जो उचित मात्रा में नहीं उठाये जा रहे हैं। डॉक्टर्स को इसमें नहीं जोड़ा जा रहा है। उनमें भी जागृति के प्रयास होने चाहिए ताकि वो भी इस तरह की कोशिशों से दूर रहें।
और न्यायपालिका में भी पूरी कोशिश होनी चाहिए ताकि भ्रूण परी‍क्षण करनेवाल लोगों पर उचित कार्रवाई हो सके। सरकार फिलहाल इस मसले पर चर्चा से बच रही है लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है।
विपक्ष का कहना है की सरकार खर्चे तो बड़े कर रही है लेकिन ठोस कदम नहीं उठा रही है। सरकार को काम में नहीं लेकिन सिर्फ पब्लिसिटी में ही दिलचस्पी है। लेकिन लोग उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य में पहली बार महिला मुख्यमंत्री बनी हैं तो इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे और परिस्थिति में सुधार होगा।