पीएमसी बैंक घोटाले की राह पर दिल्ली स्टेट कोआपरेटिव बैंक : 20 लाख के गबन मामले में पांच बैंक कर्मियों पर एफआईआर दर्ज

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कोऑपरेटिव बैंकों में घोटाले की ख़बरें और खुलासे पिछले दो सालों से सुर्ख़ियों में है। महाराष्ट्र के पीएमसी की राह पर ही दिल्ली सरकार का स्टेट कोआपरेटिव बैंक में भी घोटाले की ख़बरें निकलकर सामने आ रही हैं। ताजा मामला साल 2016 का है जब दिल्ली स्टेट कोआपरेटिव बैंक की नरेला शाखा में अचानक कई खातों से रकम गायब होने लगी। इसमें एक खाता इसी बैंक से रिटायर्ड मैनेजर सत्यवीर खत्री की पत्नी का भी था जिनके खाता से बैंककर्मियों ने ही 20 लाख की रकम गबन कर ली थी।   

इस मामले में पांच साल बाद पीड़ित को इंसाफ मिलता दिख रहा है। रोहिणी कोर्ट ने दिल्ली स्टेट कोआपरेटिव बैंक की नरेला शाखा में हुए 20 लाख के गबन के मामले में 156(3) के तहत दोषी बैंक कर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश सुनाया जिसके बाद 27 मार्च 2022 को नरेला पुलिस ने दफा 420/34 के तहत पांच लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर ली है। नरेला पुलिस ने मामले में मैनेजर राजेश बाला दहिया, क्लर्क हरीश सरोहा, मैनेजर इस्टैब्लिशमेंट गजेन्द्र सिंह चौहान, मैनेजर स्वाति महाजन और खाताधारक सुनीता सिंह को नामजद किया है।

महानगर दंडाधिकारी दिव्या मल्होत्रा की कोर्ट ने मई 2016 में हुए इस अजीबोगरीब बैंक घोटाले में एफआईआर का आदेश जारी करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता महिला स्कूल प्रिंसिपल का बचत खाता दिल्ली राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड नरेला, दिल्ली में संचालित है। 30 मई 2016 को पीड़िता के बचत खाता से 20 लाख रूपये अचानक डेबिट हो गये। यह रकम उसी दिन किसी सुनीता सिंह (आरोपी नंबर 5) के खाते में जमा किया गया।

पूछताछ करने पर, बैंक अधिकारी हरीश सरोहा (आरोपी नंबर 1) ने उसे बताया कि यह सब टेक्निकल गलती के कारण हो गया है और यह कि राशि जल्द ही वापस कर दी जाएगी। इसके बाद हरीश सरोहा ड्यूटी से ही गायब हो गया। एक साल बाद 07.04.2017 को एक अज्ञात व्यक्ति यानि ईश्वर सिंह के खाते से 20,68,420 रुपये की राशि उन्हें बैंक द्वारा वापस की गई। लेकिन, शिकायतकर्ता द्वारा संबंधित बैंक से पूछताछ पर इसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला की आखिर पैसा दूसरे के खाता से क्यों वापस किया गया।

इस मामले में पीड़ित सत्यवीर खत्री का कहना है कि बैंक ईश्वर सिंह के खाता से रकम वापसी या ब्याज कैसे दे सकता है। ब्याज तो मुझे बैंक देगा। दूसरी तरफ बैंक कमियों ने पीड़ित महिला के खाता में 20 लाख 68 हजार 420 रूपये वापस भी किया और फिर ईश्वर सिंह की उसी रकम के गायब होने की इन्क्वायरी करके खुद ही पुलिस में लिखित शिकायत भी दे दी।

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि मामले में शामिल आरोपी हरीश सरोहा और पुष्पा के बारे में नरेला थाना के आइओ ने कोर्ट को बताया है कि दोनों कर्मचारियों को बैंक ने मामले में दोषी पाते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया है जबकि सच्चाई यह है कि पुष्पा नामक यह महिला बैंक कर्मचारी आज भी बवाना शाखा में कार्यरत है। पीड़ित अब नरेला पुलिस के खिलाफ कोर्ट में गलत जानकारी पेश करने के आरोप में दफा 340 के तहत मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है। मामले में एक और अजीब तथ्य यह भी सामने आया है कि पीड़ित को धमकाने की कॉल रिकॉर्डिंग मौजूद होने के बावजूद नरेला पुलिस ने इस मामले में बैंक चेयरमैन डॉक्टर बिजेन्द्र सिंह पर कोई कार्रवाई करने से बचाव किया है। जबकि मामले में मुख्य आरोपी राजेश बाला दहिया बैंक चेयरमैन की कथित तौर पर रिश्तेदार (भांजे की पत्नी) है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा की नरेला पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी करती है या उसके लिए भी पीड़ित को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।