महापुरुषों के विचार धारा में ही असली भारतीय संस्कृति : इंजि राजीव ठकरेले

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गोंदिया,25 जनवरी–ॉ नेशनल पीपल फेडरेशन नागपुर शाखा – इर्री के द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा ग्राम इर्री टोली के मुख्य चौराहे पर स्थापित की गई साी ही समाज प्रबोधन सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित कर अपने संवैधानिक अधिकार एवं महापुरुषों के विचार से जोड़ना था तथा समाज को प्रेरणा मिले और महापुरुषों के विचारों पर चलकर समाज सामाजिक तथा राष्ट्रीय क्रांति का हिस्सा बन सके। यही सोच आयोजकों की थी इसीलिए आयोजकों ने अपने समाज के विद्वान लोगों के साथ साथ हर समाज के प्रबोधनकार ओं को आमंत्रित किया था। जिसमें इंजि राजीव ठकरेले, कु. लिना उईके, दुलीचंद धुर्वे, अनिल वट्टी, करण टेकाम, श्रीमती प्रमिला सीद्रामे, जियालाल पंधरे, प्रसन्ना ठाकुर, विकास टेकाम, मधुजी दिहारी इत्यादि मान्यवरो का प्रबोधन हुआ।
प्रतिमा का अनावरण  गोपाल सिंह जी उईके (अध्यक्ष गोंडवाना गणतंत्र पार्टी गोंदिया जिला) के शुभ हश्ते हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन के रूप में सुनीताताई कोकूड़े, आदिवासी सप्त रंगी ध्वज का उद्घाटन परसराम पंधरे इनके शुभ हश्ते किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख उपस्थिति के रूप में ग्राम की प्रथम महिला दुर्गाबाई लखन मेंढे,  रवि तारोंने अशोक चौहान, सखाराम मडावी, गीता नागपुरे, कैलाश चौधरी, प्रांताबाई ढेकवार, उर्मिला उपवंशी, दुर्गाबाई ठकरेले, अवंतीबाई उपवंशी, सुमित भाऊ रामटेके, मूलचंद चौधरी इत्यादि मान्यवर उपस्थित थे।
भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा स्थापना के लिए अशोक  सयाम द्वारा जमीन दान दी। कार्यक्रम का आयोजन लक्ष्मी पंधरे, सखाराम मडावी, सुखदेव वरखडे, गुलाब वरखड़े, भूमेश्वर वरखडे, रामू वरखडे, शहेशराम मडावी, विनोद सयाम, विजय मंडावी, श्रीचंद वरखडे, मूलचंद वरखडे, रविवार वरखडे, कृष्ण वरखडे, हीवराज वरखडे, कैलाश वरखड़े, सुरेश सयाम, अशोक सयाम, ओंकार पंधरे, मनोज श्याम, गोपाल वरखडे, तुकाराम वड़खड़े, फूलचंद वरखडे, विजय वरखडे, श्यामलाल वड़खड़े, रामेश्वर वरखडे, लोकचंद कोडवते,हंसराज पंधरे, महिंद्र पंधरे, हरी वरखड़े, भरत मडावी, मिता राम मंडावी, अनंतराम मडावी, भावदास मडावी, सालिक मडावी, रवि मडावी, दुर्गेश मडावी, प्रेमलाल वरखडे, चमरू लामकासे, बाबूलाल मसे, पूरनलाल मसे, श्रीमती पूर्णा बाई वरखड़े, कमलाबाई वरखडे, प्रमिलाबाई वरखड़े,जीरनबाई वरखडे, छन्नू बाई वरखड़े, शांताबाई मडावी, कांताबाई पंधरे, आनंदबाई वरखड़े इत्यादि ग्रामवासियों के सहयोग एवं मार्गदर्शन से प्रतिमा स्थापित की गई।