वंदे मातरम और भारत माता की जय से गूंजता रहा साहित्य मंडल का वासंतिक कवि सम्मेलन

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गोंदिया। भिन्न भाषी साहित्य मंडल, गोंदिया की 62वी वर्षगाँठ पर दि. 17 फरवरी को श्री राजस्थानी ब्राह्मण सभा भवन में आयोजित अ.भा. कवि सम्मेलन रसिक श्रोताओं पर अपनी अमिट छाप छोड़ गया। देशभक्ति एवं ओज की कविताओं से जहाँ वातावरण वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारों से गूँजता रहा, वहीं श्रंगार और समसामयिक गीतों के साथ व्यंग्य के तीखे स्वरों को श्रोताओं की भरपूर दाद मिली।
पार्षद एवं सामाजिक कार्यकर्ता भरत क्षत्रिय की अध्यक्षता में आयोजित कवि सम्मेलन में प्रमुख अतिथि पूर्व प्राचार्य कविवर डॉ. हरिनारायण चौरसिया, राजस्थानी ब्राह्मण सभा ट्रस्ट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष बजरंगलाल शर्मा, ब्राह्मण समाज के पदाधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता अरुण दुबे व साहित्य मंडल परिवार के गौरव धोटे मंच पर उपस्थित थे। माँ सरस्वती के पूजन एवं दीप प्रज्जवलन पश्चात अतिथियों का स्वागत संयोजक शशि तिवारी, लक्ष्मीकांत कटरे, अंतु झकास, निखिलेशसिंह यादव, जितेंद्र तिवारी, नरेश आर. गुप्ता, चैतन्य मातुरकर आदि ने किया। मंडल के प्रमुख पदाधिकारी श्री रमेश शर्मा ने आरंभिक कार्यवाही का संचालन करते हुए संस्था की 62 वर्षीय गतिविधियों का परिचय दिया। अध्यक्षीय संबोधन में श्री भरत क्षत्रिय ने कहा कि कविगण वर्तमान विसंगतियों पर अपने कटाक्ष के माध्यम से समाज व देश को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। डॉ. हरिनारायण चौरसिया ने कहा कि एक लम्बे समय तक साहित्यिक गतिविधियों की परंपरा को कायम रखना गौरव की बात है। श्री गौरव धोटे ने नई पीढ़ी को साहित्यिक गतिविधियों से जोड़ने व जुड़े रहने की बात कही।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री निशा आनंद तिवारी ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना से किया। पश्चात उनके श्रंगारिक मुक्तकों व गीतों ने अच्छा समा बाँधा। रामटेक से आए संतोष बरमैया ने ‘है नमन, है नमन, है नमन साथियों, वीर चरणों में नत ये वतन साथियों’ जैसी पंक्तियों से पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों के बलिदान पर अपनी आदरांजलि अर्पित की। व्यंग्यकार प्रदीप स्वामी ने ‘भेज दिया है वृद्धाश्रम में, आजकल घरों में माँ-बाप नहीं मिलते’ तथा ‘जो पत्थरबाजों के संग खड़े है, उनको सीमा पार करो’ और ‘जिन्दा रामलाल को दस-बीस के नोट चढ़ाते तो बेचारा रामलाल बुढ़ापे में भूख से न मर पाता’ जैसी पंक्तियों से खूब तालियाँ पिटवाई। युवा ओजस्वी कवि मयंक शर्मा की ओजपूर्ण रचनाओं की प्रत्येक पंक्ति पर वातावरण वंदे मातरम एवं भारत माता की जय के नारों से गूँजता रहा। तथा शहीदों की बलिदान पर प्रस्तुत उनकी रचनाओं ने रसिकों की आँखें सजल कर दी। एक बानगी स्वरूप उनकी पंक्तियाँ ‘सारे ही जवाब जब पानी मांगते तुम्हारे तुमको दिखाते कि सवाल कैसे होते हैं, धोखे से शिकार गर करते नहीं हमारा देखते कि लहू में उबाल कैसे होते है, श्वान के कपूतों गर सामने से मारते तो देखते कि शेरनी के लाल कैसे होते है, दुश्मनों का पीठ पीछे वार गर होता नहीं, काल को दिखाते महाकाल कैसे होते है।’ कवि मयंक शर्मा ने अपना इतना प्रभाव जमाया कि श्रोताओं ने उन पर फूलों की वर्षा कर दी।
गीतकार भारत बटोही के गीतों से श्रोता मंत्रमुग्ध हुए तथा लोकधुनों का आनंद लिया। ‘सुन जवानी खून तेरा हो न पानी, युग बदल जाए रहे तेरी निशानी’ तथा ‘मैं गीत लिखना चाहूँ पर भाव नहीं मिलते, मुझको तो पहले जैसे अब गाँव नहीं मिलते’ जैसी रचनाओं का श्रोताओं ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।
दिनेश देहाती अपनी हास्य एवं धारदार व्यंग्य रचनाओं से ठहाके लगवाते रहे। ‘गाँव में तकलीफे और कष्ट कम नहीं होते, लेकिन ये सच है कि गाँव में वृद्धाश्रम नहीं होते’ तथा साहित्य के नौ रसों की तुलना गन्ने के रस से करते हुए श्रोताओं की वाहवाही लूटी और कवि सम्मेलन को अपने कुशल संचालन से साहित्यिक गरिमा प्रदान की।
समस्त कवियों का संस्था द्वारा स्मृतिचिह्न प्रदान कर सत्कार किया गया। साथ ही इस शुभप्रसंग पर साहित्य मंडल के विशेष सहयोगी घनश्याम गुप्ता, नरेश आर. गुप्ता व संयुक्त काव्य संग्रह ‘कलरव’ के प्रकाशन पर कवि-व्यंग्यकार शशि तिवारी एवं कवयित्री कमलेश तिवारी, एवं काव्य संग्रह ‘चिकोटी’ के प्रकाशन पर व्यंग्यकार लक्ष्मीकांत कटरे एवं प्रकाशक हेमंत हीरापुरे का स्मृतिचिह्न प्रदान कर अतिथियों एवं आमंत्रित कवियों के हस्ते सत्कार किया गया।
कवि सम्मेलन की विशेषता यह रही कि फूहड़ चुटकुलों एवं व्यर्थ की बकवास से परे रहकर कवियों ने साहित्य मंडल के उद्देश्यों को सार्थक बनाया। जिस पर काव्य रसिकों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आयोजन को अभूतपूर्व एवं अविस्मरणीय निरूपित किया। संस्थाध्यक्ष सुनील धोटे के मार्गदर्शन में सफलतार्थ रमेश शर्मा, शशि तिवारी, लक्ष्मीकांत कटरे, निखिलेशसिंह यादव, जितेंद्र तिवारी, छगन पंचे ‘छगन’, चैतन्य मातुरकर आदि ने परिश्रम किया। अंत में पुलवामा में शहीद जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए साहित्य मंडल के हाल ही में दिवंगत कवियों हरिप्रसाद जोशी ‘पराग’, मदन पांडेय, प्रेम सोनवाने, सलीम अख्तर, ओजस्विनी झा, प्रेमवल्लभ त्रिपाठी, सच्चिदानंद देशमुख आदि का स्मरण करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। संयोजक शशि तिवारी ने आयोजन की सफलता के लिए समस्त कवियों, सहयोगियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। कवि सम्मेलन का प्रसारण शीघ्र ही यूट्यूब के गुणाधीश चैनल पर किया जाएगा।