मुख्यमंत्री शिवराज के साले संजय सिंह कांग्रेस में शामिल

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बालाघाट की वारासिवनी सीट से मांग रहे थे टिकट

भोपाल/गोंदिया 3 नवंबर.मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह शनिवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। दिल्ली में कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया गया। उम्मीद है कि कांग्रेस शनिवार को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर देगी। संजय का कांग्रेस में जाना मध्यप्रदेश भाजपा के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि सिंह टिकट न मिलने से नाराज थे। दूसरी ओर भाजपा ने शुक्रवार को अपनी पहली सूची जारी कर दी। इसमें 176 प्रत्याशियों के नाम हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पुरानी सीट बुधनी से ही चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा तीन मंत्रियों और 33 विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं। दो सांसदों को भी भाजपा ने मैदान में उतारा है।

संजयसिंह के इस फैसले के बाद गोंदिया के राजनिती मे भी बहोत बडी हलचल मच गयी है।यहा के रेती व्यवसाय मे जुडे लोग उन्ही के तारीफे को फुल बांधे जा रहे है।साथ ही अगर वारासिवनीसे संजयसिंह को काँग्रेस मैदान मे उतारती है। तो काँग्रेस नेता गुड्डा जायस्वाल राष्ट्रवादी काँग्रेस की नाव पर सवार होने की चर्चा जोरोपर चल रही है।

महाराष्ट्र के गोंदिया मुलनिवासी  संजय सिंह मुख्यमंत्री की पत्नी साधना के सगे भाई हैं। एंव उन्होने बालाघाट जिले को ही अपनी कर्मभूमी बना रखे है ।सिंह नीलाक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर नाम की कंपनी के कर्ताधर्ता हैं। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में इस कंपनी के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने उन पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे ठेकेदार के रूप में पंजीयन कराने का आरोप लगाया था। कांग्रेस में शामिल होने के बाद सिंह ने भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि नामदारों को नवाजा जा रहा है और कामदारों को किनारे कर दिया गया है।बालाघाट एंव गोंदिया जिले मे रेती घाटो के जितने बडे ठेके है इन्हीके इशारो पर चलते है।

बताया जा रहा है कि संजय वारासिवनी से टिकट मांग रहे थे। वे राजनीतिक रूप से यहीं सक्रिय हैं। भाजपा की पहली सूची में वारासिवनी से वर्तमान विधायक योगेन्द्र निर्मल को प्रत्याशी घोषित किया गया है। सिंह के कांग्रेस में शामिल होने पर भाजपा नेता डॉ. हितेश वाजपेयी ने कहा, ”इस समय जो कांग्रेस में जा रहा है, उसकी मति मारी गई है। भाजपा परिवारवाद पर नहीं जनता के सहयोग से चलने वाली पार्टी है।”

इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और उनकी बहू व भोपाल की पूर्व महापौर कृष्णा गौर की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पार्टी नेता गोविंद गोयल से मुलाकात हुई। गोविंद गोयल 2013 विधानसभा चुनाव में भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा सीट से बाबूलाल गौर के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी थे और हार गए थे। भाजपा ने शुक्रवार को जिन 176 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए थे, उनमें गोविंदपुरा सीट शामिल नहीं थी।